वक्फ संशोधन कानून पर बवाल: पूरे देश में शांति, लेकिन बंगाल क्यों बना हिंसा का केंद्र?
वक्फ संशोधन कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध और समर्थन के सुर सुनाई दिए। लेकिन जिस तरह की हिंसा और बवाल पश्चिम बंगाल में देखने को मिला, वैसा नजारा पूरे देश में कहीं और नहीं दिखा। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों?
वक्फ संशोधन कानून केंद्र सरकार द्वारा लाया गया है, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता बढ़ाने की बात कही गई है। लेकिन कई संगठनों और समुदायों ने इसे अपने अधिकारों पर चोट बताया और विरोध जताया।
बंगाल में क्यों भड़की हिंसा?
पश्चिम बंगाल में इस कानून के विरोध में अचानक ही कई जिलों में प्रदर्शन उग्र हो गए। कई जगहों पर सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया, सड़कें जाम की गईं और प्रशासन को हालात काबू में लाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
हैरानी की बात यह रही कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही यह ऐलान कर चुकी थीं कि, “वक्फ संशोधन कानून पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा।” इसके बावजूद हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही।
क्या हैं इसके पीछे के कारण?
विशेषज्ञों की मानें तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:
1. राज्य और केंद्र के बीच टकराव – बंगाल की राजनीति में केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव नया नहीं है। ऐसे में कई बार केंद्रीय कानूनों को लेकर जनता में भ्रम और असंतोष की स्थिति बन जाती है।
2. राजनीतिक ध्रुवीकरण – बंगाल की राजनीति लंबे समय से ध्रुवीकरण के दौर से गुजर रही है। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक दलों के बीच बयानबाज़ी से हालात और बिगड़ जाते हैं।
3. अफवाहों की भूमिका – कई इलाकों में यह देखा गया कि सोशल मीडिया और लोकल नेटवर्क के जरिए भ्रामक जानकारियां फैलाई गईं, जिससे लोगों में डर और गुस्सा बढ़ा।
4. स्थानीय स्वार्थी तत्वों की सक्रियता – जानकारों का मानना है कि कुछ स्थानीय गुटों ने इस मुद्दे को उकसाया ताकि वे इससे राजनीतिक या सामाजिक लाभ उठा सकें।
वक्फ कानून पूरे देश के लिए है, लेकिन बंगाल में जिस तरह यह मुद्दा हिंसा में तब्दील हुआ, उससे यही सवाल उठता है — क्या यह सिर्फ एक कानून का विरोध था, या फिर इसके पीछे कोई और गहरी राजनीतिक चाल छुपी है?
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