अंतरधार्मिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सरकारों को सख्त चेतावनी
उत्तराखंड में एक मुस्लिम युवक और हिंदू युवती ने आपसी सहमति से विवाह किया। यह विवाह कुछ संगठनों को नागवार गुज़रा और युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। हाई कोर्ट से भी जमानत न मिलने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट ने युवक को न्याय देते हुए स्पष्ट किया कि दो बालिगों के बीच सहमति से किया गया विवाह अपराध नहीं हो सकता। कोर्ट ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संविधान में निहित मौलिक अधिकारों से जोड़ा।
कोर्ट की टिप्पणी:
“अगर दो वयस्क आपसी सहमति से विवाह करते हैं, तो वह उनके संवैधानिक अधिकारों का हिस्सा है। राज्य सरकारें धार्मिक या सामाजिक दबाव में आकर कानून का दुरुपयोग न करें।”
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को सख्त लहजे में चेताया कि कानून का इस्तेमाल किसी की आज़ादी छीनने के लिए नहीं किया जा सकता। यह फैसला व्यक्तिगत स्वतंत्रता की दिशा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।