गाजा में तबाही का मंजर: एक यहूदी की मौत के बदले 45 फिलिस्तीनी मारे गए,
अक्टूबर 2024 में शुरू हुए इजराइल-हमास संघर्ष ने अब तक जो रूप ले लिया है, उसने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया है। जब हमास ने 7 अक्टूबर को इजराइल पर अचानक बड़ा हमला कर करीब 1200 यहूदी नागरिकों की हत्या कर दी, तब से इजराइली सेना की जवाबी कार्रवाई बेहद आक्रामक और विनाशकारी रही है।
अब जबकि यह युद्ध अपने अंतिम चरण में प्रवेश करता दिख रहा है, गाजा में तबाही के दृश्य और वहां हो रही भारी नागरिक मौतें अंतरराष्ट्रीय मंच पर चिंता का विषय बन चुके हैं।

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक इजराइली हमलों में 55,000 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इस आंकड़े से स्पष्ट है कि प्रत्येक यहूदी नागरिक की मौत के बदले औसतन 45 फिलिस्तीनियों की जान ली गई है।
इस गणित ने इजराइल की सैन्य नीति और नैतिकता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। क्या यह आत्मरक्षा है या फिर सजा देने की अंधी होड़?

इजराइल का पक्ष
इजराइली सरकार और सेना लगातार यही कहती रही है कि यह कार्रवाई हमास के खात्मे और अपनी जनता की सुरक्षा के लिए की जा रही है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे “अपने नागरिकों की रक्षा के लिए जरूरी कदम” बताया है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा
संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, और कई मानवाधिकार संगठनों ने गाजा में हो रही नागरिक मौतों और मानवीय संकट पर गहरी चिंता जताई है। अमेरिका सहित कई देशों ने युद्धविराम की दिशा में वार्ताएं तेज कर दी हैं।
मानवाधिकार बनाम सैन्य रणनीति
यह संघर्ष सिर्फ दो पक्षों की लड़ाई नहीं रहा, यह अब एक मानवाधिकार संकट बन चुका है। बच्चों की लाशें, मलबे में दबे परिवार, और बर्बाद हो चुके अस्पताल इस युद्ध की सबसे भयावह कीमत बन चुके हैं।