गिद्ध संरक्षण को मिली नई दिशा: केरवा सेंटर से 6 गिद्ध पहली बार प्राकृतिक वातावरण में छोड़े गए
भोपाल, अप्रैल – मध्यप्रदेश में गिद्ध संरक्षण को लेकर एक अहम कदम उठाया गया है। राजधानी भोपाल स्थित केरवा गिद्ध प्रजनन केन्द्र से पहली बार 6 गिद्धों को कल प्राकृतिक वातावरण में छोड़ा गया। इन सभी गिद्धों को GPS ट्रैकर से लैस किया गया है, जिससे उनके आवागमन, व्यवहार और सुरक्षा पर सतत निगरानी रखी जा सकेगी।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह पहल न केवल गिद्धों की घटती संख्या को थामने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा प्रयास भी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मृत पशुओं को खाकर ये न केवल स्वच्छता बनाए रखते हैं, बल्कि संक्रमण और रोगों के प्रसार को भी रोकते हैं। पिछले कुछ वर्षों में जहरीली दवाओं और भोजन की कमी के कारण गिद्धों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
राज्य शासन द्वारा संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। गिद्धों को सुरक्षित वातावरण देने के साथ-साथ उन्हें प्राकृतिक परिवेश में पुनः स्थापित करने की यह पहल उसी दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।
वन विभाग का कहना है कि GPS ट्रैकिंग से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर भविष्य की संरक्षण नीतियां और अधिक प्रभावशाली तरीके से तैयार की जा सकेंगी।
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