गौरव गोगोई Vs. हिमंत बिस्वा सरमा: असम की राजनीति में बढ़ता टकराव, 10 सितंबर पर टिकी निगाहें
गुवाहाटी | जून 2025:
असम की राजनीति में इन दिनों जबरदस्त हलचल मची हुई है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के बीच विवाद ने तूल पकड़ लिया है। मामला तब गरमाया जब मुख्यमंत्री सरमा ने विधानसभा में गोगोई पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि उनके परिवार के तीन सदस्य विदेशी हैं और उनकी पत्नी के ISI (पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी) से कथित संबंध हैं।
मुख्यमंत्री का यह बयान आते ही राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया। गौरव गोगोई ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए मुख्यमंत्री को 10 सितंबर तक अल्टीमेटम दिया है-या तो सबूत पेश करें या सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।
गोगोई ने प्रेस वार्ता में कहा, “मुख्यमंत्री का यह बयान न केवल मेरी निजी गरिमा पर हमला है, बल्कि यह पूरी लोकतांत्रिक प्रणाली को चुनौती देने वाला है। यदि उनके पास सबूत हैं, तो सामने लाएं। वरना माफी मांगें, नहीं तो कानूनी कार्रवाई का सामना करें।”
मुख्यमंत्री सरमा की ओर से अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है, लेकिन बीजेपी खेमे से यह संकेत जरूर मिल रहे हैं कि वे अपने आरोपों पर कायम हैं।
क्या है 10 सितंबर की अहमियत?
यदि मुख्यमंत्री सबूत नहीं दे पाते, तो उन्हें सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ सकती है, जो किसी भी सत्तारूढ़ नेता के लिए कठिन होगा।
अगर कोई ठोस प्रमाण सामने आता है, तो मामला कानूनी जांच और गहन बहस की ओर बढ़ सकता है।
विवाद का राजनीतिक संदर्भ
गौरव गोगोई, पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के पुत्र हैं और कांग्रेस में उभरते हुए नेता माने जाते हैं।
वहीं, हिमंत बिस्वा सरमा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए और वर्तमान में असम की सत्ता के सबसे मजबूत स्तंभ हैं।
यह विवाद केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि नागरिकता, राष्ट्र सुरक्षा और राजनीतिक नैतिकता जैसे बड़े मुद्दों से जुड़ गया है।
अब आगे क्या?
राज्य और देश भर की निगाहें अब 10 सितंबर पर टिकी हैं – जहां या तो सियासी सुलह होगी, या यह टकराव और भी गहराएगा।