जगद्गुरु रामभद्राचार्य को मिला ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023’, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया सम्मानित
नई दिल्ली। संस्कृत साहित्य और भारतीय संत परंपरा को समर्पित जीवन के लिए प्रसिद्ध पद्मविभूषण से अलंकृत जगद्गुरु तुलसीपीठाधीश्वर रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज को वर्ष 2023 का सर्वोच्च भारतीय साहित्य सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ प्रदान किया गया। यह सम्मान राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने एक भव्य समारोह में उन्हें प्रदान किया।
स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी संस्कृत, हिंदी और भक्ति साहित्य के क्षेत्र में दशकों से अद्वितीय योगदान देते आ रहे हैं। दृष्टिबाधित होने के बावजूद उन्होंने अपने अंतर्मन के प्रकाश से वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों की गूढ़ व्याख्या प्रस्तुत की है। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि आत्मबल, साधना और ज्ञान की शक्ति से कोई भी शारीरिक बाधा असंभव नहीं होती।
ज्ञात हो कि स्वामी जी न केवल एक संत हैं, बल्कि एक प्रखर वक्ता, कवि, दार्शनिक, और शिक्षाविद् भी हैं। वे श्रीरामचरितमानस पर गहराई से आधारित प्रवचनों के लिए विश्वविख्यात हैं। उनके द्वारा स्थापित तुलसी पीठ (चित्रकूट, उत्तर प्रदेश) आज देशभर में धार्मिक शिक्षा, संस्कृत अध्ययन और सेवा का प्रमुख केंद्र बन चुका है।
पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा, “स्वामी रामभद्राचार्य जी भारतीय परंपरा, भाषा और संस्कृति के सच्चे संवाहक हैं। उनका साहित्यिक योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रेरणा बना रहेगा।”
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है, जो देश के उन साहित्यकारों को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने भारतीय भाषाओं के साहित्य को अद्वितीय समृद्धि प्रदान की हो। स्वामी रामभद्राचार्य जी इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले चुनिंदा संत-साहित्यकारों में से एक बन गए हैं।
देश-विदेश से उनके अनुयायियों और साहित्य प्रेमियों में इस गौरवपूर्ण उपलब्धि को लेकर हर्ष की लहर है। सोशल मीडिया पर लाखों लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं और उनके योगदान को युगों-युगों तक स्मरणीय बताया है।
नेशनल कैपिटल टाइम्स ;