जस्टिस अभय ओका की स्वीकारोक्ति: “जज भी इंसान होते हैं”
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अभय ओका ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान न्यायपालिका की पारदर्शिता और आत्मनिरीक्षण पर ज़ोर देते हुए कहा कि “जज भी इंसान होते हैं और उनसे भी गलतियां हो सकती हैं।”
उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था में सुधार की शुरुआत ईमानदारी और आत्ममंथन से होती है। अपनी बात को मजबूती देने के लिए उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपने कार्यकाल का एक निजी अनुभव भी साझा किया, जिसमें उन्होंने माना कि एक केस में फैसला सुनाते समय उनसे गंभीर त्रुटि हुई थी।
जस्टिस ओका की यह स्वीकारोक्ति न्यायिक जवाबदेही और नैतिकता की मिसाल के तौर पर देखी जा रही है। उनके इस बयान ने न्यायपालिका में सुधार और पारदर्शिता की आवश्यकता को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है।
नेशनल कैपिटल टाइम्स ;