मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला साल: राष्ट्रभक्ति और गठबंधन की शक्ति का नया अध्याय
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला वर्ष कई मायनों में ऐतिहासिक और चुनौतीपूर्ण रहा। संसद में संख्याबल घटने के बावजूद भाजपा ने गठबंधन की राजनीति में कुशल नेतृत्व दिखाया और देश को विकास के रास्ते पर बनाए रखा।
इस एक वर्ष में सरकार को आतंकवाद, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से जूझना पड़ा। लेकिन वहीं पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर ने यह जता दिया कि भारत की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाएगा। सुरक्षाबलों की इस कार्रवाई ने जनता में विश्वास और सुरक्षा का भाव और गहरा किया।
🔹 गठबंधन की शक्ति, नीतियों की दृढ़ता
एनडीए गठबंधन ने विपक्ष के दबाव के बावजूद एकजुट रहकर केंद्र में स्थायित्व बनाए रखा। ‘सबका साथ, सबका विकास’ को केंद्र में रखते हुए महिला सशक्तिकरण, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और कृषि क्षेत्र को लेकर कई योजनाएं लागू की गईं।
🔹 अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ा भारत का प्रभाव
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी भारत की स्थिति और मजबूत हुई। जी-20, संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर भारत ने प्रभावी उपस्थिति दर्ज की। विदेशी निवेश को लेकर भी सकारात्मक संकेत मिले हैं जिससे भविष्य में आर्थिक प्रगति की उम्मीद बढ़ी है।
🔹 जनता का विश्वास बरकरार
सरकार के पहले साल ने यह साबित किया कि संख्या से अधिक ज़रूरी है नीति और नेतृत्व। प्रधानमंत्री मोदी ने गठबंधन की शक्ति को राष्ट्रसेवा में बदला और संकटों के बीच देश को स्थिरता और दिशा प्रदान की।