प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला 10 मई 1857 को भड़की, देश ने याद किए वीर सपूत
नई दिल्ली, 10 मई 2025:
आज से ठीक 168 वर्ष पहले, 10 मई 1857 को भारत के इतिहास में वह पन्ना लिखा गया, जिसने आज़ादी की लड़ाई की नींव रखी। मेरठ छावनी से शुरू हुआ यह विद्रोह धीरे-धीरे पूरे उत्तर भारत में फैल गया और इसे इतिहास में भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा गया।
ईस्ट इंडिया कंपनी के अन्यायपूर्ण शासन, सामाजिक-धार्मिक हस्तक्षेप और सैन्य उत्पीड़न से तंग आकर भारतीय सिपाहियों ने विद्रोह का बिगुल फूंका। सबसे पहले मेरठ के सिपाहियों ने अंग्रेज अफसरों के खिलाफ बगावत की, और इसके बाद विद्रोह की आग दिल्ली, कानपुर, झांसी, ग्वालियर और अन्य शहरों तक फैल गई।
इस संग्राम में बहादुर शाह ज़फर, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहेब और बिरसा मुंडा जैसे वीर नायकों ने अग्रणी भूमिका निभाई। रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान आज भी भारत की आत्मा में जीवंत है।
हालांकि यह आंदोलन 1858 तक आते-आते अंग्रेजों द्वारा दबा दिया गया, लेकिन इसने ब्रिटिश सत्ता की नींव को पहली बार गंभीर चुनौती दी। 1 नवंबर 1858 को अंग्रेजों ने उन विद्रोहियों को माफी दी जो हत्याओं में शामिल नहीं थे, और 8 जुलाई 1859 को विद्रोह के अंत की औपचारिक घोषणा की गई।
देशभर में आज इन वीर बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी जा रही है। स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित किए गए, और सोशल मीडिया पर भी देशभक्तों को याद करने का सिलसिला जारी है।
देश उन्हें कभी नहीं भूलेगा।
नेशनल कैपिटल टाइम्स ;