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बस्तर से नक्सलवाद का सफाया: 40 साल बाद केंद्र सरकार ने किया ‘नक्सल मुक्त

बस्तर से नक्सलवाद का सफाया: 40 साल बाद केंद्र सरकार ने किया 'नक्सल मुक्त

बस्तर से नक्सलवाद का सफाया: 40 साल बाद केंद्र सरकार ने किया ‘नक्सल मुक्त’ घोषित, सुरक्षाबलों की ऐतिहासिक जीत

छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले से एक ऐतिहासिक खबर सामने आई है। करीब 40 वर्षों तक नक्सलवाद की चपेट में रहे इस क्षेत्र को अब केंद्र सरकार ने ‘नक्सल मुक्त’ घोषित कर दिया है। यह घोषणा न केवल सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी जीत है, बल्कि बस्तर के लाखों नागरिकों के लिए भी एक नई सुबह की शुरुआत है।

चार दशक पुराना संघर्ष खत्म

बस्तर, जो कभी देश के सबसे ख़तरनाक नक्सल प्रभावित इलाकों में शुमार होता था, अब विकास, शांति और स्थिरता की राह पर चल पड़ा है। 1980 के दशक में जब पहली बार नक्सली गतिविधियों ने यहां पैर पसारना शुरू किया, तब से लेकर अब तक हजारों जानें गईं, विकास ठप रहा और डर का साया लोगों की ज़िंदगी पर मंडराता रहा।

सुरक्षाबलों की कड़ी मेहनत लाई रंग

केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त रणनीति, विशेष फोर्सेस की तैनाती, स्थानीय पुलिस का सहयोग और नागरिकों की बढ़ती जागरूकता ने आखिरकार वह कर दिखाया जो कभी असंभव माना जा रहा था।

हाल ही में सुरक्षाबलों द्वारा कई शीर्ष नक्सल कमांडरों को ढेर करने के बाद हालात में भारी बदलाव देखने को मिला। ऑपरेशन प्रहार, ऑपरेशन मोनसून, और ऑपरेशन धुआँधार जैसे अभियानों ने नक्सल नेटवर्क की कमर तोड़ दी।

LWE मुक्त क्षेत्र का मतलब क्या है?

LWE यानी Left Wing Extremism से मुक्त होने का सीधा अर्थ है – अब बस्तर में कोई भी संगठित नक्सली नेटवर्क सक्रिय नहीं है।

ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की पहुंच बढ़ गई है।

सड़कें, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, और सरकारी योजनाएं अब सीधे लोगों तक पहुंच रही हैं।

डर की जगह अब आशा और विश्वास ने ले ली है।

सरकार और प्रशासन का अगला कदम

अब जब बस्तर नक्सल मुक्त हो गया है, तो केंद्र और राज्य सरकारें यहां तेज़ी से विकास कार्यों को आगे बढ़ाएंगी।

आदिवासी समुदायों के लिए शिक्षा और रोज़गार के नए अवसर
इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश – सड़क, पुल, बिजली, इंटरनेट
पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना – बस्तर की प्राकृतिक खूबसूरती को दुनिया से जोड़ा जाएगा

गृह मंत्रालय का बयान

गृह मंत्रालय ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा:

“बस्तर क्षेत्र को अब नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से हटा दिया गया है। यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। हम सुरक्षाबलों और स्थानीय जनता के प्रयासों को सलाम करते हैं।”

निष्कर्ष: बस्तर में अब नए युग की शुरुआत

40 साल बाद मिली यह जीत केवल एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि यह लोकतंत्र, विकास और विश्वास की जीत है।
अब बस्तर की पहचान नक्सलवाद से नहीं, बल्कि नई संभावनाओं, सांस्कृतिक विरासत और आर्थिक विकास से होगी।

नेशनल कैपिटल टाइम्स ;

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Rudra ji