मणिपुर में सरकारी आदेश से भड़की हिंसा: एक शब्द को हटाना बना विरोध की वजह
इम्फाल, मणिपुर (28 मई 2025):
मणिपुर में एक सरकारी आदेश ने बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है। राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए एक आदेश से एक विशेष शब्द हटाए जाने के बाद जनता का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा है। यह शब्द स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा हुआ माना जा रहा था।
क्या है पूरा मामला?
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में राज्य सरकार ने एक आधिकारिक नोटिफिकेशन में उस शब्द को हटा दिया, जिसे स्थानीय समुदायों ने वर्षों से अपनी पहचान के रूप में स्वीकार किया था। यह फैसला बिना किसी सार्वजनिक परामर्श या संवाद के लिया गया, जिससे जनआक्रोश तेज़ी से फैल गया।
कई जिलों में प्रदर्शन, सरकारी दफ्तरों पर ताले
इस विवाद के बाद मणिपुर के कई जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
प्रदर्शनकारियों ने कई केंद्र और राज्य सरकार के कार्यालयों पर ताले जड़ दिए और कुछ स्थानों पर दफ्तरों में घुसकर तोड़फोड़ भी की गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने की शांति की अपील
पूर्व मुख्यमंत्री ने जनता से संयम बनाए रखने और बातचीत के ज़रिए समाधान निकालने की अपील की है। उन्होंने कहा:
“हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। सरकार को जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।”
कांग्रेस ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार
कांग्रेस पार्टी ने इस पूरे मामले में सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि यह विवाद सरकार की लापरवाही और बिना विचार किए लिए गए निर्णय का नतीजा है। उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
पहले से संवेदनशील है मणिपुर
मणिपुर पहले ही जातीय तनाव और राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है। ऐसे में इस नए विवाद ने राज्य के हालात को और अधिक गंभीर बना दिया है। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से ट्रेंड कर रहा है, और लोग सरकार से जवाब मांग रहे हैं।
आगे क्या?
अब पूरा देश देख रहा है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर इस संवेदनशील मुद्दे का समाधान कैसे निकालती हैं। क्या जनता की मांगों पर विचार किया जाएगा या विरोध और गहराएगा?
नेशनल कैपिटल टाइम्स ;