भगवान मदमहेश्वर मंदिर के कपाट खुले: पंचकेदार यात्रा 2025 का शुभारंभ
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड | 21 मई 2025:
उत्तराखंड की हिमालयी वादियों में आज एक बार फिर गूंजे “हर हर महादेव” के जयकारे। पंचकेदारों में द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर मंदिर के कपाट आज प्रातः शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोल दिए गए। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने मंदिर में प्रथम दर्शन किए और भगवान शिव के चरणों में शीश नवाया।

क्या है भगवान मदमहेश्वर का महत्व?
भगवान मदमहेश्वर मंदिर को पंचकेदारों में दूसरा स्थान प्राप्त है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत के बाद पांडवों ने शिवजी के दर्शन के लिए इस क्षेत्र में तपस्या की थी। यहां भगवान शिव की नाभि रूप में पूजा होती है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,289 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और चारों ओर बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियाँ इसकी शोभा बढ़ाती हैं।
यात्रा मार्ग और पहुँच
यात्रा की शुरुआत उखीमठ से होती है। यहाँ से रांसी गाँव तक वाहन से पहुँचा जा सकता है। इसके बाद लगभग 16–18 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके भक्त मंदिर पहुँचते हैं। रास्ते में गौंडार, बुरखोट और नानू जैसे पड़ाव आते हैं।
कपाट खुलने की विधि
कपाट खुलने से पहले विशेष पूजा-अर्चना, वैदिक मंत्रोच्चारण और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ भगवान की डोली यात्रा संपन्न हुई। डोली उखीमठ से चलकर विभिन्न गांवों से होती हुई मंदिर पहुंची, जहां श्रद्धालुओं ने भव्य स्वागत किया।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़
देश-विदेश से आए हजारों भक्तों ने कपाट खुलने के अवसर पर दर्शन किए। देवस्थानम बोर्ड और जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा, चिकित्सा, जल, आवास और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
कब तक खुले रहेंगे कपाट?
अब मंदिर के कपाट भाई दूज (दीपावली के बाद) तक खुले रहेंगे। इसके बाद भगवान की पूजा शीतकाल में उखीमठ में की जाती है।
नेशनल कैपिटल टाइम्स ;