संबित पात्रा ने दी पखाल दिवस की शुभकामनाएँ, कहा – “ओड़िया संस्कृति और महाप्रभु जगन्नाथ का प्रिय भोजन सबको आज़माना चाहिए”
भुवनेश्वर: ओड़िशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक खानपान को सम्मान देने के लिए हर साल 20 मार्च को “पखाल दिवस” मनाया जाता है। इस अवसर पर भाजपा नेता डॉ. संबित पात्रा ने सोशल मीडिया के माध्यम से देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि पखाल सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि ओड़िया संस्कृति और महाप्रभु श्री जगन्नाथ की परंपरा का अहम हिस्सा है।
क्या है पखाल?
पखाल, चावल से बना एक पारंपरिक व्यंजन है, जिसे पानी में भिगोकर खाया जाता है। यह विशेष रूप से गर्मियों में शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए तैयार किया जाता है। इसे दही, सरसों, सूखी मिर्च, साग और कई अन्य मसालों के साथ परोसा जाता है। ओड़िशा के श्री जगन्नाथ मंदिर में इसे भगवान को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है, जिससे इसका धार्मिक महत्व भी बढ़ जाता है।
संबित पात्रा ने क्यों दिया पखाल दिवस पर जोर?
डॉ. संबित पात्रा, जो खुद ओड़िशा से ताल्लुक रखते हैं, लंबे समय से ओड़िया संस्कृति और परंपराओं को राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने के प्रयास में लगे हैं। पखाल दिवस के मौके पर उन्होंने कहा कि “यह व्यंजन हमारी सांस्कृतिक पहचान है और हमें इसे संरक्षित व प्रचारित करना चाहिए। हर भारतीय को एक बार पखाल का स्वाद जरूर लेना चाहिए।”
कैसे बना सकते हैं पखाल?
अगर आप भी इस पारंपरिक व्यंजन का आनंद लेना चाहते हैं, तो इसे आसानी से घर पर बना सकते हैं:
1. पके हुए चावल को ठंडा कर लें।
2. इसमें पानी और थोड़ा सा दही मिलाकर कुछ घंटे या पूरी रात के लिए छोड़ दें।
3. स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें सरसों, हरी मिर्च, सूखी मिर्च, साग और नमक डालें।
4. इसे भजिया, आलू-भर्ता, बैंगन-भर्ता या फ्राई के साथ खाएं।
निष्कर्ष
पखाल दिवस अब केवल एक स्थानीय पर्व नहीं, बल्कि ओड़िशा की संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने का एक जरिया बन गया है। संबित पात्रा जी जैसे नेता इस प्रयास को आगे बढ़ा रहे हैं, ताकि देश-विदेश में लोग इस विशेष व्यंजन के महत्व को समझें और इसे अपनी थाली में शामिल करें।
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