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सीता नवमी ( सीता जयंती ) : माता सीता का पावन जन्मोत्सव

सीता नवमी ( सीता जयंती ) : माता सीता का पावन जन्मोत्सव

वैशाख शुक्ल नवमी को मनाई जाएगी सीता नवमी, विवाहित महिलाएं रखेंगी व्रत

नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, सीता नवमी का पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता हे । इसे सीता जयंती के रूप में भी जाना जाता है और यह पर्व माता सीता के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और विशेष पूजा-अर्चना करती हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता सीता का जन्म मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र में हुआ था। उनका विवाह भगवान श्रीराम से हुआ था, जिनका जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को हुआ था। इस तरह सीता नवमी, राम नवमी के एक महीने बाद मनाई जाती है।

माता सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वह मिथिला नरेश राजा जनक की दत्तक पुत्री थीं। मान्यता है कि जब मिथिला में भयंकर अकाल पड़ा था, तब राजा जनक ने यज्ञ कर भूमि पर हल चलाया। उसी दौरान हल की नोक जमीन में दबे एक कलश से टकराई, जिसमें एक कन्या मिली। राजा जनक ने उसे अपनी संतान के रूप में स्वीकार किया और उसका नाम सीता रखा।

सीतामढ़ी (बिहार) और जनकपुर (नेपाल) को माता सीता का जन्मस्थान माना जाता है, जहां इस अवसर पर विशेष पूजा, शोभायात्रा और धार्मिक आयोजनों का आयोजन किया जाता है।

नेशनल कैपिटल टाइम्स

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