हेमकुण्ड साहिब यात्रा: श्रद्धा, साहस और सेवा का प्रतीक
सिख समुदाय का एक प्रमुख तीर्थस्थल, श्री हेमकुण्ड साहिब, हर साल श्रद्धालुओं की गहरी आस्था और सेवा-भाव का केंद्र बनता है। उत्तराखंड के चमोली ज़िले में स्थित यह पवित्र स्थल समुद्र तल से लगभग 15,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, और यहाँ की यात्रा एक दिव्य अनुभव मानी जाती है।

यात्रा की शुरुआत और परंपरा: प्रत्येक वर्ष, यात्रा की शुरुआत पंच प्यारों की अगुवाई में पहले जत्थे के साथ होती है। श्री गोविंदघाट से रवाना होने वाला यह जत्था निशान साहिब के साथ, घांघरिया होते हुए हेमकुण्ड साहिब की ओर प्रस्थान करता है।
यात्रा मार्ग और प्रकृति: गोविंदघाट से हेमकुण्ड साहिब तक की पैदल यात्रा लगभग 19 किलोमीटर लंबी होती है, जिसमें श्रद्धालु हिमालय की गोद में बसे अनेक सुंदर दृश्यों और प्राकृतिक बाधाओं को पार करते हैं। अटल कोठी ग्लेशियर और अन्य हिम-covered मार्गों को प्रशासन और सेवा दलों द्वारा समय रहते साफ किया जाता है।

मौसम और तैयारी: हेमकुण्ड साहिब क्षेत्र का मौसम अत्यंत ठंडा होता है, जहाँ तापमान अक्सर शून्य से नीचे चला जाता है। इस कारण यात्रियों को गरम कपड़ों और स्वास्थ्य संबंधी तैयारी के साथ यात्रा करनी चाहिए।
धार्मिक महत्व: हेमकुण्ड साहिब को दसवें सिख गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की तपस्थली माना जाता है। यह स्थल आत्मिक साधना, बलिदान और धर्म के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
प्रबंधन और सेवा: यात्रा मार्ग पर लंगर सेवा, चिकित्सा सहायता, और सुरक्षा की समुचित व्यवस्था की जाती है। गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और स्थानीय प्रशासन यात्रियों की सुविधा के लिए मिलकर काम करते हैं।
हेमकुण्ड साहिब की यह यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धता, प्रकृति के सम्मान और सेवा की भावना का संगम भी है।
नेशनल कैपिटल टाइम्स ;