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11 वर्षों में रेलवे में क्रांतिकारी परिवर्तन: 136 वंदे भारत ट्रेनें, विद्युतीकरण में 2.1 गुना वृद्धि

11 वर्षों में रेलवे में क्रांतिकारी परिवर्तन: 136 वंदे भारत ट्रेनें, विद्युतीकरण में 2.1 गुना वृद्धि

11 वर्षों में रेलवे में क्रांतिकारी परिवर्तन: 136 वंदे भारत ट्रेनें, विद्युतीकरण में 2.1 गुना वृद्धि

नई दिल्ली, जून 2025 – भारतीय रेलवे, जो कभी धीमी गति, भीड़भाड़ और पुराने ढांचे के लिए जानी जाती थी, पिछले 11 वर्षों में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का गवाह बनी है। वर्ष 2014 में जहाँ देश में कोई सेमी-हाई स्पीड ट्रेन उपलब्ध नहीं थी, वहीं 2025 तक भारत ने 136 स्वदेशी वंदे भारत ट्रेनों को सफलतापूर्वक परिचालित कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह उपलब्धि सिर्फ रेलवे के क्षेत्र में तकनीकी प्रगति नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने की दिशा में एक बड़ी छलांग भी है।

11 वर्षों में रेलवे में क्रांतिकारी परिवर्तन: 136 वंदे भारत ट्रेनें, विद्युतीकरण में 2.1 गुना वृद्धि
11 वर्षों में रेलवे में क्रांतिकारी परिवर्तन: 136 वंदे भारत ट्रेनें, विद्युतीकरण में 2.1 गुना वृद्धि

वंदे भारत एक्सप्रेस: गर्व का प्रतीक

2019 में पहली वंदे भारत ट्रेन को नई दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाया गया था। यह ट्रेन पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन और निर्मित की गई थी, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सफलता को दर्शाती है। अत्याधुनिक सुविधाओं, तेज़ गति, बेहतर सुरक्षा और आरामदायक यात्रा अनुभव ने वंदे भारत को देशवासियों की पहली पसंद बना दिया है।
आज 136 वंदे भारत ट्रेनें देश के विभिन्न हिस्सों में दौड़ रही हैं, जो प्रमुख महानगरों, पर्यटन स्थलों और औद्योगिक केंद्रों को जोड़ रही हैं।

इन ट्रेनों की अधिकतम गति 160 किमी प्रति घंटा तक जाती है, जिससे यात्रा समय में काफी कटौती हुई है। ट्रेन में लगे स्वचालित दरवाज़े, GPS आधारित सूचना प्रणाली, बायो-वैक्यूम शौचालय और वातानुकूलित कोच भारतीय रेल यात्रियों को विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान कर रहे हैं।

रेलवे विद्युतीकरण में अभूतपूर्व वृद्धि

सिर्फ ट्रेनों के आधुनिकीकरण में ही नहीं, बल्कि रेलवे के ढांचे में भी ऐतिहासिक परिवर्तन हुए हैं। 2014 तक भारत में जितना रेलवे नेटवर्क विद्युतीकृत था, उसकी तुलना में पिछले 11 वर्षों में 2.1 गुना अधिक विद्युतीकरण हुआ है।

इस विद्युतीकरण का प्रमुख उद्देश्य ईंधन की बचत, पर्यावरण सुरक्षा और परिचालन लागत में कटौती है। डीजल इंजन की तुलना में इलेक्ट्रिक इंजन अधिक शक्तिशाली, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। इसके चलते रेलवे की कार्बन फुटप्रिंट में भी उल्लेखनीय कमी आई है।

बदलाव के पीछे नीति और नियत का फर्क

रेलवे में यह बदलाव केवल तकनीक या इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से नहीं आया, बल्कि इसके पीछे स्पष्ट विज़न, राजनीतिक इच्छाशक्ति और दूरदर्शी योजना का भी बड़ा योगदान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय रेलवे को ‘न्यू इंडिया’ के विजन के साथ जोड़ा गया। बजट में निरंतर बढ़ोतरी, आधुनिक स्टेशन पुनर्विकास योजनाएं, सेमी-हाई स्पीड रेल कॉरिडोर और निजी निवेश को प्रोत्साहन ने इस बदलाव को संभव बनाया है।

11 वर्षों में रेलवे में क्रांतिकारी परिवर्तन: 136 वंदे भारत ट्रेनें, विद्युतीकरण में 2.1 गुना वृद्धि
11 वर्षों में रेलवे में क्रांतिकारी परिवर्तन: 136 वंदे भारत ट्रेनें, विद्युतीकरण में 2.1 गुना वृद्धि

यात्रियों के अनुभव में सुधार

रेलवे में ये सुधार सिर्फ आँकड़ों तक सीमित नहीं हैं। इसका सीधा लाभ आम जनता को मिला है। जहाँ पहले लंबी दूरी की यात्रा में समय और असुविधा आम थी, अब वंदे भारत जैसी ट्रेनों के चलते यात्रा तेज़, आरामदायक और सुरक्षित हो गई है।
स्टेशन पर वेटिंग हॉल, स्वच्छता, एस्केलेटर, लिफ्ट, फूड कोर्ट जैसी सुविधाएं पहले की तुलना में बेहतर हुई हैं।

वर्ष 2014 से 2025 तक का यह 11 सालों का सफर भारतीय रेलवे के इतिहास में स्वर्णिम युग के रूप में दर्ज किया जाएगा। वंदे भारत ट्रेनों की संख्या हो या रेलवे विद्युतीकरण की गति – दोनों ही उदाहरण इस बात के प्रतीक हैं कि इच्छाशक्ति हो, तो व्यवस्था और बुनियादी ढांचे में परिवर्तन संभव है।

भारतीय रेलवे अब केवल ‘देश की जीवन रेखा’ नहीं, बल्कि ‘नए भारत की रफ्तार’ बन चुकी है।

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Rudra ji