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17 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर, भारत की बड़ी जीत: वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में खुलासा

17 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर, भारत की बड़ी जीत: वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में खुलासा

गरीबी पर भारत की बड़ी जीत: वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में खुलासा – 10 सालों में 17 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर

नई दिल्ली:
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद भारत को एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने बीते एक दशक में अत्यधिक गरीबी के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी है और एक बड़ी जनसंख्या को गरीबी के जाल से बाहर निकाला है। वर्ष 2011-12 में जहां देश की करीब 24 प्रतिशत आबादी अत्यधिक गरीबी की श्रेणी में थी, वहीं 2022-23 तक यह आंकड़ा घटकर मात्र 5.3 प्रतिशत रह गया है।

गरीबी की नई परिभाषा और आंकड़े

विश्व बैंक की नई मापदंडों के अनुसार, अब अत्यधिक गरीब उसे माना जाएगा जिसकी दैनिक खर्च करने की क्षमता 3 अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹257, वर्ष 2021 की कीमतों के अनुसार) से कम है। इससे पहले यह सीमा 2.15 डॉलर प्रति दिन थी। इस आधार पर भारत में अत्यधिक गरीबों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, करीब 17 करोड़ भारतीयों ने 2011-12 से 2022-23 के बीच अत्यधिक गरीबी की रेखा को पार किया है, जो सामाजिक और आर्थिक दोनों ही दृष्टियों से एक ऐतिहासिक परिवर्तन है।

सरकारी योजनाओं और नीतियों का अहम योगदान

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस परिवर्तन के पीछे केंद्र सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाएं और ‘सबका साथ, सबका विकास’ की नीति मुख्य रूप से जिम्मेदार रही है।
कुछ प्रमुख योजनाएं जिनका उल्लेख रिपोर्ट में भी हुआ है:

प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) – गरीबों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना – महिलाओं को धुएं से मुक्ति दिलाकर जीवन स्तर में सुधार।

स्वच्छ भारत मिशन – स्वच्छता के माध्यम से स्वास्थ्य सुधार।

आयुष्मान भारत योजना – गरीब परिवारों को 5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा।

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) – सब्सिडी और लाभ सीधे लाभार्थियों के खाते में।

इन योजनाओं ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों दोनों में गरीब परिवारों की जीवनशैली को सुधारने में गहरा प्रभाव डाला है। अब गांवों में भी गरीबों के पास बैंक अकाउंट, शौचालय, एलपीजी सिलेंडर और स्वास्थ्य बीमा जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं।

कोरोना के बावजूद मजबूती

यह उपलब्धि इसलिए और भी उल्लेखनीय है क्योंकि इस दौरान भारत समेत पूरी दुनिया को कोविड-19 महामारी जैसी बड़ी आपदा का सामना करना पड़ा। लेकिन भारत ने इस संकट को अवसर में बदला और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों से आर्थिक गतिविधियों को पुनः गति दी।

वैश्विक मंच पर भारत की सशक्त छवि

भारत का गरीबी उन्मूलन में यह प्रदर्शन वैश्विक मंच पर उसकी छवि को और सशक्त बनाता है। आज जब दुनिया के कई देश महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, भारत ने ना सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर बल्कि सामाजिक मोर्चे पर भी खुद को साबित किया है।

अर्थशास्त्रियों की राय

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि यही रफ्तार जारी रही, तो भारत आने वाले वर्षों में पूरी तरह से अत्यधिक गरीबी मुक्त राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर हो सकता है। हालांकि, अभी भी कुछ राज्यों और क्षेत्रों में असमानता की स्थिति बनी हुई है, जिस पर केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा।

भारत की यह प्रगति न केवल आर्थिक विकास का संकेत है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में भी एक मजबूत कदम है। एक ऐसे देश के लिए, जो कभी गरीबी की वैश्विक पहचान माना जाता था, आज इस स्तर पर आना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।

 

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