रक्षा मंत्रालय की जमीन पर 2024 एकड़ अतिक्रमण! सरकार भी बताई गई दोषी
नई दिल्ली: देश की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी संभालने वाला रक्षा मंत्रालय खुद अब एक बड़े संकट से जूझ रहा है। हाल ही में मंत्रालय की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि पूरे देश में रक्षा विभाग की 2024 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण हो चुका है। यह मामला न सिर्फ सुरक्षा के लिहाज़ से गंभीर है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और मिलीभगत की ओर भी इशारा करता है।
1575 एकड़ जमीन पर ‘अवैध कब्जा’
इस रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 2024 एकड़ में से लगभग 1575 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा हो चुका है। इनमें से 819 एकड़ जमीन पर राज्य और केंद्र सरकार के विभागों ने ही कब्जा कर रखा है। यह ज़मीन अब सार्वजनिक कार्यों के लिए इस्तेमाल की जा रही है। यानि साफ है कि सरकारें खुद इस अतिक्रमण का हिस्सा हैं।
सरकारें भी बनीं ‘कब्जेदार’!
यह पहली बार है जब किसी सरकारी रिपोर्ट में सरकार के ही विभिन्न विभागों को रक्षा भूमि पर ‘अवैध कब्जेदार’ करार दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि सिस्टम की अंदरूनी कमजोरी और मिलीभगत का संकेत है।
अब तक क्या हुई कार्रवाई?
रक्षा मंत्रालय की ओर से कार्रवाई भी की गई है। पिछले 10 वर्षों में Defence Estates Organisation ने करीब 1,715 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाया है। हालांकि सवाल ये है कि अगर अतिक्रमण हटाया भी जा रहा है, तो नई जगहों पर फिर से कब्जे कैसे हो रहे हैं? और क्या सरकार इसमें गंभीरता से कोई ठोस कदम उठा रही है?
क्यों है यह मामला गंभीर?
रक्षा संपत्तियाँ देश की रणनीतिक सुरक्षा से जुड़ी होती हैं।
इन जमीनों पर कोई भी असंगठित निर्माण या बाहरी दखल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
यदि सरकारी विभाग ही नियम तोड़ने लगें तो फिर आम लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है?
सरकार की जवाबदेही बनती है
अब देश यह जानना चाहता है कि — क्या रक्षा मंत्रालय इस अतिक्रमण को रोकने के लिए फुल-प्रूफ रणनीति बनाएगा?
और क्या उन सरकारी एजेंसियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी जो खुद ‘कब्जाधारी’ बन गई हैं?
आपकी क्या राय है?
क्या ये सिर्फ एक प्रशासनिक चूक है या एक संगठित लापरवाही?
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