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वकील संशोधन अधिनियम 2025 के विरोध में तीस हजारी कोर्ट के बाहर वकीलों ने चक्का जाम किया

आज दिनांक 21 फरवरी 2025 को सरकार द्वारा थोपे गए काले कानून के खिलाफ वकीलों ने चक्का जाम किया

हमारे संवाददाता ने जब वकील अतुल कुमार शर्मा और श्री जे के गुप्ता अर्पण राठौर से बात करने पर यह पाया कि सभी वकील इस काले कानून से आहत है और काले कानून का विरोध करना जरूरी है मानते हैं

(Advocate Amendment Act 2025) के खिलाफ । वकीलों का दावा है कि प्रस्तावित ‘एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025’ उनकी स्वायत्तता और स्वाधीनता के लिए खतरा है। बार असोसिएशन के अनुसार, बिल में केंद्र सरकार के ऑब्जर्वर नियुक्त किए जाने के प्रावधान से उनकी स्वतंत्रता में हस्तक्षेप होगा।
यह अधिनियम वकीलों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करता है और उनकी आवाज़ को दबाने का प्रयास करता है। आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं कि यह बिल क्यों गलत है और इसका विरोध क्यों जरूरी है:-
1 इस अधिनियम के तहत वकीलों को कोर्ट के कामकाज से हड़ताल या बहिष्कार करने पर रोक लगाई गई है (धारा 35A)।
यह प्रावधान वकीलों के *संवैधानिक अधिकार* (अनुच्छेद 19 – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का हनन करता है।
2 इस अधिनियम में वकीलों पर 3 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है (धारा 35)।
3 अगर कोई शिकायत झूठी या फ़िजूल पाई जाती है, तो शिकायतकर्ता पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है (धारा 35)।
4 बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी वकील को तुरंत निलंबित कर सकती है (धारा 36)।

बिल 2025 का विरोध कर गया और सरकार से वापस लेने की मांग करी गई     

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