अमेरिका ने चीनी छात्रों के वीजा रद्द करने शुरू किए, नई अपॉइंटमेंट्स पर भी रोक, बढ़ता अमेरिका-चीन तनाव
वॉशिंगटन/बीजिंग – अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव अब शिक्षा जगत तक पहुंच गए हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने घोषणा की है कि अमेरिका ने उन चीनी छात्रों के वीजा रद्द करना शुरू कर दिए हैं, जिनका संबंध चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) से है या जो अमेरिका में किसी संवेदनशील तकनीकी क्षेत्र में अध्ययन कर रहे हैं।
इसके साथ ही अमेरिकी विदेश विभाग ने छात्र और एक्सचेंज विजिटर वीजा (F और J कैटेगरी) के लिए नई अपॉइंटमेंट्स पर भी रोक लगा दी है। यह निर्णय अमेरिकी प्रशासन की उस नीति का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसके तहत वह अपने उच्च शिक्षा और तकनीकी अनुसंधान को विदेशी प्रभाव से बचाना चाहता है
❝ राष्ट्रीय सुरक्षा पहले – अमेरिकी विदेश मंत्री**
रुबियो ने स्पष्ट कहा कि “चीन की सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी, अमेरिकी विश्वविद्यालयों का दुरुपयोग कर रही है ताकि हमारे टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन को चुराया जा सके। अब वक्त आ गया है कि हम अपनी बौद्धिक संपदा की सुरक्षा करें।”
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि –
“कट्टरपंथी वामपंथियों ने छात्रों को उपद्रवी बना दिया है, और विदेशी सरकारें इसका फायदा उठा रही हैं।”
कितने छात्र होंगे प्रभावित?
साल 2023-2024 के दौरान चीन के लगभग 2.7 लाख छात्र अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे।
यह संख्या अमेरिका में पढ़ने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों का लगभग 25% है।
भारत के बाद चीन अमेरिका में विदेशी छात्रों का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
चीन की प्रतिक्रिया?
वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन चीन की सरकार ऐसे किसी भी फैसले को आम तौर पर “राजनीतिक भेदभाव” और “अंतरराष्ट्रीय शिक्षा में हस्तक्षेप” के तौर पर देखती रही है।
प्रभाव क्या होंगे?
चीनी छात्रों की अमेरिका में संख्या में भारी गिरावट आ सकती है।
अमेरिका की विश्वविद्यालयों को आर्थिक नुकसान हो सकता है क्योंकि विदेशी छात्र अधिक फीस देते हैं।
शैक्षणिक रिसर्च और इनोवेशन में भी असर पड़ सकता है।
भारत सहित अन्य देशों के छात्रों को नई संभावनाएं मिल सकती हैं, लेकिन वीज़ा प्रक्रिया पहले से ज्यादा कठिन और छानबीन वाली हो सकती है।
निष्कर्ष
अमेरिका का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक रणनीति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है। लेकिन इसका सीधा असर हजारों छात्रों के करियर और सपनों पर पड़ सकता है। अब देखने वाली बात होगी कि चीन इस पर कैसे प्रतिक्रिया देता है और क्या आने वाले समय में यह टकराव और गहराता है।
नेशनल कैपिटल टाइम्स ;