नई संसद भवन: भारत के लोकतंत्र का नया युग और उसका इतिहास
नई दिल्ली, – 28 मई 2023 को भारत ने अपने लोकतंत्र के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई संसद भवन का उद्घाटन किया। नई संसद भवन सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्य, सांस्कृतिक विरासत और आधुनिकता का प्रतीक है।

नई संसद भवन का महत्व और इतिहास
नई संसद भवन का निर्माण भारत सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक, सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत हुआ। यह भारत के पुराने संसद भवन की जगह बनाई गई, जो 1927 से कार्यरत था। पुराने भवन की सीमित क्षमता और आधुनिक आवश्यकताओं को देखते हुए, नई संसद भवन का निर्माण आवश्यक था।
इस भवन की त्रिकोणीय संरचना भारत की विविधता और एकता का प्रतीक है। इसकी वास्तुकला में पारंपरिक भारतीय कला और आधुनिक तकनीक का बेहतरीन मेल देखा जा सकता है। 750 करोड़ रुपये की लागत से बने इस भवन में लोकसभा और राज्यसभा के लिए बड़ी और अत्याधुनिक बैठक कक्ष हैं।

लोकतंत्र का मंदिर: नई संसद की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन के समय इसे “लोकतंत्र का मंदिर” कहा था। यह भवन केवल कानून बनाने का स्थान नहीं है, बल्कि यह भारत की जनता की आकांक्षाओं, नीतियों और भविष्य के सपनों का प्रतीक है। यहाँ पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीकी प्रगति के नए मानक स्थापित किए गए हैं।
तकनीकी नवाचार और डिजिटल संसद
नई संसद भवन में डिजिटल इंडिया की परिकल्पना को साकार किया गया है। संसद की कार्यवाही में अब कागज़ रहित प्रक्रियाएं लागू हैं, जिससे पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी है। स्मार्ट टेक्नोलॉजी और ग्रीन बिल्डिंग मानकों का उपयोग करके इसे पर्यावरण के अनुकूल भी बनाया गया है।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक प्रतिबिंब
इस भवन में भारत की प्राचीन और समृद्ध संस्कृति की झलक मिलती है। इसकी दीवारों पर शिल्प, चित्रकारी और ऐतिहासिक प्रतीक चिन्ह देश की हजारों साल पुरानी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। यह आधुनिक भारत और उसकी सांस्कृतिक जड़ों के बीच पुल का काम करता है।
नई संसद भवन का भविष्य और भारत के लोकतंत्र पर प्रभाव
दो वर्षों में, नई संसद ने भारत के लोकतंत्र को नई ऊर्जा दी है। यह न केवल संसद सदस्यों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करता है, बल्कि जनता को भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के करीब लाता है। आने वाले वर्षों में यह भवन भारत की राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक एकता और वैश्विक नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
निष्कर्ष
नई संसद भवन सिर्फ एक संरचना नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र की जीवंतता और प्रगति का प्रतीक है। इसकी दूसरी वर्षगांठ पर हम न केवल एक भवन का जश्न मना रहे हैं, बल्कि एक मजबूत, पारदर्शी और प्रगतिशील लोकतंत्र का उत्सव मना रहे हैं। यह भवन आने वाली पीढ़ियों के लिए लोकतंत्र की धरोहर और प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
नेशनल कैपिटल टाइम्स ;