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कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार की इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली, पवन कल्याण ने उठाए दोहरे मानकों पर सवाल

कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार की इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली, पवन कल्याण ने उठाए दोहरे मानकों पर सवाल

कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार की इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली, पवन कल्याण ने उठाए दोहरे मानकों पर सवाल

कोलकाता पुलिस ने हरियाणा के गुरुग्राम से इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर और लॉ की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली को गिरफ्तार कर लिया है। शर्मिष्ठा ने हाल ही में एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर एक धर्म विशेष पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर तीव्र विवाद छिड़ गया और पश्चिम बंगाल पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए शर्मिष्ठा को गिरफ्तार कर लिया।

कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार की इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली, पवन कल्याण ने उठाए दोहरे मानकों पर सवाल
शर्मिष्ठा ने बाद में अपनी गलती स्वीकार की, वीडियो डिलीट किया और माफी भी मांगी। लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने उनका खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जिससे विवाद और गहराया।

पवन कल्याण का बयान: क्या कानून सभी के लिए एक समान है?

जनसेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि शर्मिष्ठा ने अपनी गलती मान ली है, वीडियो हटा लिया और माफी भी मांगी, फिर भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पवन कल्याण ने सवाल उठाया कि जब टीएमसी के चुने हुए नेता सनातन धर्म का मजाक उड़ाते हैं, तब लाखों लोगों को चोट पहुंचती है, लेकिन उन नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती?

उन्होंने आगे कहा, “जब हमारे धर्म को ‘गंध धर्म’ कहा जाता है तो गुस्सा कहां है? उन नेताओं की माफी कहां है? तुरंत उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?”

पवन कल्याण की यह टिप्पणी दोहरे मानकों और कानून के समान प्रवर्तन पर गहरा सवाल खड़ा करती है। उन्होंने इस पूरे मामले में निष्पक्षता और समान न्याय की मांग की है।

सोशल मीडिया और धार्मिक संवेदनशीलता के बीच टकराव

यह मामला उस संवेदनशील दौर में सामने आया है जब सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाओं को लेकर तीव्र बहस और विवाद जारी हैं। इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर लोगों के विचार और बयान आसानी से वायरल हो जाते हैं, जिससे कभी-कभी सामाजिक तनाव भी बढ़ता है।

धार्मिक समूहों और नेताओं के बयान पर भी लगातार विवाद होते रहते हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या कानून सभी के लिए समान रूप से लागू होता है? क्या सामान्य नागरिकों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर सख्ती दिखाई जाती है, जबकि राजनीतिक या प्रभावशाली व्यक्तियों को छूट मिल जाती है?

 

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Rudra ji