विष्णु शंकर जैन की मांगों की सूची: संविधान और धार्मिक स्थलों पर बड़ा बयान
प्रसिद्ध अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने हाल ही में केंद्र सरकार से कुछ बेहद अहम और संवेदनशील मुद्दों पर ठोस पहल की मांग की है। उनके बयानों ने न केवल राजनीतिक बल्कि वैचारिक विमर्श को भी एक नई दिशा दी है। आइए विस्तार से जानते हैं उनकी प्रमुख मांगें:
1. संविधान की प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द हटाने की मांग
विष्णु शंकर जैन का कहना है कि ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘समाजवादी’ (Socialist) जैसे शब्द 1976 में आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़े गए थे, जो कि मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे। उनका मानना है कि इन शब्दों ने संविधान की आत्मा में बदलाव किया है और इन्हें हटाकर संविधान की मौलिक पहचान को बहाल किया जाना चाहिए।
2. काशी और मथुरा विवादों का समाधान शीघ्र हो
जैन ने काशी विश्वनाथ और मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को जल्द सुलझाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इन मामलों में लंबी अदालती प्रक्रिया चल रही है, जिसे तेज कर के ऐतिहासिक और धार्मिक न्याय दिया जाना चाहिए।
3. अल्पसंख्यक आयोग और मंत्रालय को समाप्त करने की वकालत
उन्होंने अल्पसंख्यक मंत्रालय और अल्पसंख्यक आयोग को खत्म करने का सुझाव दिया है। जैन का तर्क है कि ये संस्थाएं तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा देती हैं और समान नागरिकता की भावना के खिलाफ हैं।
4. धर्मांतरण पर सख्त कानून की मांग
विष्णु शंकर जैन ने बढ़ते हुए अवैध धर्मांतरण पर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए सख्त और प्रभावी कानून बनाए जाएं ताकि देश की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को सुरक्षित रखा जा सके।
सारांश
विष्णु शंकर जैन की ये मांगें न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं बल्कि राजनीतिक और सामाजिक विमर्श को भी एक नया आयाम देती हैं। उनके बयानों से यह स्पष्ट होता है कि आने वाले समय में संविधान, धार्मिक स्थलों और धर्मांतरण जैसे विषयों पर बहस और तेज़ हो सकती है।