ट्रंप-मुनीर मुलाकात ने बदली भू-राजनीतिक चाल, ईरान को किया किनारे?
नई दिल्ली/वॉशिंगटन/इस्लामाबाद —
पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई हालिया गोपनीय मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस मुलाकात को महज एक “शिष्टाचार भेंट” मानना अब मुश्किल हो रहा है, क्योंकि इसके बाद सामने आए संकेत कई स्तरों पर नई वैश्विक समीकरण की ओर इशारा कर रहे हैं।
क्या बनी है नई रणनीतिक धुरी?
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में ईरान-इज़राइल तनाव और दक्षिण एशिया में शांति समझौते जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा हुई। ट्रंप ने इस बैठक को “सम्मानजनक और रणनीतिक रूप से आवश्यक” बताते हुए यह संकेत दिया कि यह एक बड़े भू-राजनीतिक पुनर्संतुलन की शुरुआत हो सकती है।
ईरान को बाहर कर नई स्क्रिप्ट?
विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान को दरकिनार कर अमेरिका और पाकिस्तान की नजदीकियां बढ़ाना केवल मिडिल ईस्ट ही नहीं, बल्कि वैश्विक गठजोड़ की दिशा को भी बदल सकता है। इस नए समीकरण से इज़राइल, सऊदी अरब और भारत जैसे देशों की स्थिति पर भी असर पड़ सकता है।
भारत-पाक शांति या नई चाल?
बैठक में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते पर भी विचार हुआ। यह स्पष्ट नहीं है कि इसका मकसद दक्षिण एशिया में स्थिरता लाना है या फिर कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका की किसी मध्यस्थता योजना को आगे बढ़ाना।
ग्लोबल विश्लेषकों की चिंता
ट्रंप-मुनीर समीकरण को लेकर विश्व विश्लेषक दो धड़ों में बंटे हुए हैं। एक पक्ष इसे दक्षिण एशिया और मिडिल ईस्ट में संभावित शांति की दिशा में ‘कूटनीतिक पहल’ मान रहा है, जबकि दूसरा इसे ईरान के खिलाफ गुप्त गठबंधन और क्षेत्रीय असंतुलन पैदा करने वाली साजिश बता रहा है। ईरानी मीडिया और विशेषज्ञ इसे “राजनैतिक विश्वासघात” करार दे चुके हैं।
पाकिस्तान की चाल – अमेरिका की शह?
जनरल मुनीर का ट्रंप से मिलना ऐसे वक्त में हुआ है जब पाकिस्तान आर्थिक संकट, आतंरिक अस्थिरता और तालिबान संबंधी चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में अमेरिका की ‘शह’ से पाकिस्तान को एक बार फिर जियो-स्ट्रैटेजिक मोहरे के तौर पर उभारने की कोशिश की जा रही है।