अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: भारत की सनातन परंपरा से वैश्विक आरोग्य की ओर
21 जून: केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक दिशा है
हर वर्ष 21 जून को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) भारत की उस अमूल्य विरासत का प्रतीक है, जो हजारों वर्षों से मानवता को संतुलन, स्वास्थ्य और आत्मिक चेतना की राह पर अग्रसर करती आ रही है। यह महज एक वैश्विक आयोजन नहीं, बल्कि एक ऐसी आध्यात्मिक क्रांति का प्रतीक है, जिसकी जड़ें भारतीय सभ्यता और संस्कृति में गहराई से समाई हुई हैं।
योग न तो केवल एक शारीरिक कसरत है, न ही कोई धार्मिक कर्मकांड – यह एक जीवन जीने की कला है। योग का उद्देश्य है – शरीर, मन और आत्मा के बीच पूर्ण समरसता स्थापित करना, जिससे व्यक्ति न केवल खुद को बल्कि सम्पूर्ण विश्व को भी बेहतर बना सके।
🧘 तनावग्रस्त युग में योग: एक संजीवनी बूटी की तरह
21वीं सदी की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है – तनाव (Stress)। तेज़ रफ्तार जीवन, अनियमित दिनचर्या, खराब खानपान और डिजिटल अधिभार ने इंसान को मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्तरों पर कमजोर बना दिया है। ऐसे दौर में योग एक जीवनदायी औषधि (Holistic Remedy) की तरह सामने आया है।
नियमित योगाभ्यास से होने वाले लाभ:
शारीरिक लाभ: शरीर की लचीलापन, शक्ति और संतुलन में वृद्धि।
मानसिक लाभ: डिप्रेशन, एंग्ज़ायटी और अनिद्रा जैसी मानसिक समस्याओं में राहत।
आध्यात्मिक लाभ: ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से आत्मचेतना की प्राप्ति।
आज चिकित्सा विज्ञान भी मान चुका है कि योग Lifestyle diseases जैसे डायबिटीज, हाई बीपी, हार्ट डिजीज, मोटापा और थायरॉइड को नियंत्रित करने में सहायक है।
🌐 योग की वैश्विक यात्रा: मोदी जी के नेतृत्व में एक युगांतरकारी पहल
भारत ने सदियों से योग का ज्ञान संजोकर रखा था, लेकिन उसे वैश्विक पहचान दिलाने का श्रेय जाता है प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को।
27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने ऐतिहासिक भाषण में मोदी जी ने योग को “मानवता के लिए अमूल्य उपहार” बताते हुए एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। आश्चर्यजनक रूप से मात्र 90 दिनों में, 193 में से 177 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया – जो संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में सबसे अधिक समर्थन प्राप्त प्रस्तावों में से एक बना।
इसके बाद, पहली बार 21 जून 2015 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस विश्वभर में मनाया गया और तब से यह एक वैश्विक परंपरा बन गई है।
🌍 दुनियाभर में योग: न्यूयॉर्क से नैरोबी, टोक्यो से त्रिनिडाड तक
आज योग सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। यह एक वैश्विक आंदोलन (Global Movement) बन चुका है।
अमेरिका में सेंट्रल पार्क से लेकर टाइम्स स्क्वायर तक योगा इवेंट्स होते हैं।
यूरोप के स्कूलों में योग को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है।
अफ्रीका और कैरेबियन देशों में ‘योगा फॉर ह्यूमैनिटी’ अभियान के तहत हजारों लोग नियमित अभ्यास कर रहे हैं।
अरब देशों तक में योग की स्वीकृति बढ़ रही है – खासतौर पर महिलाओं में।
संयुक्त राष्ट्र, WHO और UNESCO जैसी संस्थाएं भी योग को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य संसाधन मान चुकी हैं।
📜 योग: भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का अमूल्य रत्न
योग केवल शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, यह भारत की ‘सांस्कृतिक कूटनीति’ (Cultural Diplomacy) का सशक्त माध्यम बन चुका है।
‘योग’ शब्द जहां भी जाता है, वह भारत की संस्कृति, विचार और संतुलन को साथ लेकर जाता है।
आज विश्वभर के राजनयिक, अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं और NGO इसे अपने कार्यक्रमों में शामिल कर रहे हैं। भारत के दूतावास और संस्कृति केंद्र विश्व के हर कोने में योग शिविरों और वर्कशॉप का आयोजन कर रहे हैं।
🪷 योग: जीवन का अंग बने, न कि सिर्फ एक दिन का आयोजन
हालांकि 21 जून को विश्वभर में योग उत्सव के रूप में मनाया जाता है, पर इसकी सार्थकता तभी है जब हम इसे रोजमर्रा की आदत में ढालें।
योग केवल आसन या प्राणायाम तक सीमित नहीं है, यह हमें संयम, अनुशासन, करुणा और चेतना का मार्ग दिखाता है।
> “जब तन स्वस्थ होता है, तब मन स्थिर होता है। जब मन स्थिर होता है, तब आत्मा का बोध होता है। यही योग है।”
समाज तभी स्वस्थ होगा जब व्यक्ति खुद भीतर से सशक्त होगा – और यह शक्ति योग के माध्यम से ही प्राप्त होती है।
✅ निष्कर्ष: योग करें, निरोग रहें – यही भारत का संदेश, यही मोदी युग का संकल्प
21 जून का दिन हमें यह स्मरण कराता है कि योग भारत का वह अमूल्य उपहार है जिसे दुनिया ने सहर्ष अपनाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में यह परंपरा गांव-गांव से लेकर ग्लोबल स्टेज तक पहुंची है।
आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि:
हम योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएंगे।
हम तन, मन और आत्मा की शुद्धि के लिए हर दिन कुछ समय योग को देंगे।
हम भारत की इस आध्यात्मिक धरोहर को और अधिक लोगों तक पहुँचाएंगे।
योग करें, निरोग रहें। यही भारत का संदेश है। यही विश्व का भविष्य है।