संसद सत्रों में रियल-टाइम भारतीय सांकेतिक भाषा की मांग, सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्रीय मंत्री को लिखा पत्र
नई दिल्ली।
देश में दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और समावेशी विकास की दिशा में एक अहम पहल की मांग जोर पकड़ रही है। इसी कड़ी में सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखकर संसद की कार्यवाही में रियल-टाइम भारतीय सांकेतिक भाषा (Indian Sign Language – ISL) में अनुवाद की व्यवस्था शुरू करने का अनुरोध किया है।
संसद को हर नागरिक के लिए सुलभ बनाने की जरूरत
सांसद खंडेलवाल का कहना है कि हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था तभी पूर्ण होगी, जब हर नागरिक को समान रूप से संसद की कार्यवाही को समझने और उससे जुड़ने का अधिकार मिलेगा। वर्तमान में बधिर एवं श्रवण बाधित नागरिक संसद सत्रों, बहसों और महत्वपूर्ण घोषणाओं तक सीधी पहुँच से वंचित हैं। यदि संसद की कार्यवाही का रियल-टाइम सांकेतिक भाषा में प्रसारण शुरू किया जाता है, तो यह देश के लाखों लोगों के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।
प्रधानमंत्री मोदी की समावेशी सोच से मेल खाती पहल
अपने पत्र में सांसद खंडेलवाल ने लिखा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने नेतृत्व में शासन प्रणाली को अधिक सुलभ, अधिक समावेशी और नागरिकों के लिए अधिक भागीदारी आधारित बनाने पर विशेष ध्यान दिया है। ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना को साकार करने के लिए यह आवश्यक है कि बधिर नागरिक भी संसद की कार्यवाही को वास्तविक समय में समझ सकें।
क्या होगा फायदा?
संसद की हर कार्यवाही में बधिर नागरिकों की सीधी भागीदारी सुनिश्चित होगी।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और समावेशी बनेगी।
बधिर समुदाय को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय रूप से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
यह भारत सरकार के सुगम्य भारत अभियान की भावना को और मजबूत करेगा।
देशभर से मिल रहा समर्थन
सांसद प्रवीण खंडेलवाल की इस पहल को देशभर के सामाजिक संगठनों, दिव्यांगजन अधिकार कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों से समर्थन मिल रहा है। कई लोगों का कहना है कि संसद ही नहीं, बल्कि देश के अन्य महत्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रमों और लाइव प्रसारणों में भी भारतीय सांकेतिक भाषा में अनुवाद को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
खंडेलवाल ने भरोसा जताया है कि केंद्र सरकार इस सुझाव पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय लेगी और दिव्यांगजनों के लिए एक नई राह खोलेगी।
नेशनल कैपिटल टाइम्स