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श्रावण में कब और कैसे करें शिव पूजा, जानें सबसे सरल विधि और 7 जरूरी बातें

Shravan 2025: सनातन परंपरा में भगवान शिव एक ऐसे देवता हैं जो सबसे जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा आशीर्वाद बरसाते हैं. शिव की कृपा और उनका आशीर्वाद पाने के लिए श्रावण मास को सबसे ज्यादा शुभ और फलदायी माना गया है. भगवान शिव के बारे में मान्यता है कि वो अपने भक्तों को आशीर्वाद देते समय किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करते हैं. पौराणिक कथाएं इस बात की साक्षी हैं कि उन्होंने देवताओं और दैत्यों की तपस्या से प्रसन्न होकर उन पर सामान रूप से कृपा बरसाई है. यही कारण है कि पावन श्रावण मास के लगते ही तमाम शिवालयों में देवों के देव महादेव का रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक आदि करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुटने लगती है. यदि आप भी श्रावण मास में औघड़दानी भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करके मनचाहा वरदान पाना चाहते हैं तो आपको कुछेक बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए.

श्रावण में कब करें शिव पूजन

हिंदू धर्म के अनुसार भगवान शिव की भक्ति, स्मरण आदि कभी भी की जा सकती है, लेकिन यदि आप श्रावण में विशेष पूजन करके उनका आशीर्वाद लेना चाहते हैं, तो जान लें कि सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि का दिन शिव पूजा के लिए बहुत शुभ और फलदायी माना गया है। इसी प्रकार शिव की विशिष्ट पूजा के लिए प्रदोषकाल को बहुत अधिक शुभ माना जाता है। यह माना जाता है कि प्रदोष काल के दौरान भगवान भोलेनाथ की आरती, पूजन और उनके मंत्रों का जाप करने से अनंत पुण्य लाभ होता है। इस दौरान आप श्रावण मास के सभी दिनों में प्रात: काल के अलावा इस पूजनीय समय में भी शिव की आराधना कर अपनी इच्छाएं पूर्ण कर सकते हैं।

शिव पूजा की सबसे सरल विधि

श्रावण महीने में शिव पूजा (Shiv Puja) के लिए तन और मन को पवित्र करके साफ कपड़े पहनें। कभी भी पहने हुए कपड़े या काले रंग के वस्त्र पहनकर शिव की पूजा नहीं करें। शिव पूजा हमेशा या तो पूर्व या उत्तर की दिशा में मूर्तिपूज्यता के साथ आसन पर बैठकर करें। देवों के देव महादेव की पूजा अनेक तरीकोंे कजा सकती है, लेकिन यदि आप सरल तरीके से उनकी पूजा करना चाहते हैं तो सबसे पहले उन्हें पवित्र गंगा जल या शुद्ध जल अर्पित करें। इसके साथ आप अपनी सुविधा के अनुसार उन्हें दूध, दही, घी, पुष्प, बेलपत्र, शमीपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, भस्म, वस्त्र आदि अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद देवों के देव महादेव को सात्विक वस्तुएं जैसे फल, मिष्ठान आदि भोग अर्पित करें और उनका स्मरण करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का मन में जप करें। आखिर में पूर्ण श्रद्धा से भगवान शंकर की आरती करें और जितना संभव हो अन्य लोगों को प्रसाद वितरित करें तथा स्वयं भी लें।
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Rudra ji