चांदनी चौक सिर्फ़ एक बाज़ार नहीं, हमारी सभ्यता की आत्मा है: सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने संसद में उठाई दिल्ली की ऐतिहासिक विरासतों के संरक्षण की आवाज़
नई दिल्ली, संसद भवन: चांदनी चौक की तंग गलियों, ऐतिहासिक हवेलियों और मुगलकालीन स्थापत्य को सिर्फ एक व्यापारिक केंद्र कहना शायद नाइंसाफी होगी। इसी भावना को आवाज़ देते हुए दिल्ली के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने संसद में राजधानी की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया।

प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, “हमारा चांदनी चौक केवल एक बाज़ार नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा, सभ्यताओं की परतों और परंपराओं की जड़ है। इसकी हर ईंट में इतिहास साँस लेता है। अगर हम इसे नहीं बचा पाए, तो हम अपनी पहचान खो देंगे।”
संसद में उठाया अहम प्रश्न: क्या ASI और DDA साथ मिलकर कर रहे काम?
सांसद खंडेलवाल ने सरकार से स्पष्ट रूप से पूछा कि क्या भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) मिलकर चांदनी चौक और आसपास के ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए समन्वित योजना बना रहे हैं? उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या इस प्रक्रिया में स्थानीय निवासियों, व्यापारी संगठनों, इतिहासकारों और पर्यटन विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है?
उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक स्थानीय समुदायों को प्रक्रिया में भागीदार नहीं बनाया जाएगा, तब तक संरक्षण का कोई भी प्रयास पूर्ण नहीं माना जा सकता।
धरोहर, पर्यटन और शहरी विकास के बीच समरसता की जरूरत
प्रवीण खंडेलवाल ने इस बात पर बल दिया कि दिल्ली की ऐतिहासिक विरासतों को सिर्फ़ “संग्रहणीय धरोहर” बनाकर नहीं छोड़ा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें शहर के शहरी विकास और पर्यटन योजनाओं से जोड़ा जाना चाहिए। उनका कहना था कि अगर चांदनी चौक को विश्वस्तरीय हेरिटेज टूरिज़्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाए तो यह न केवल सांस्कृतिक गौरव को बढ़ाएगा, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार और आजीविका के अवसर भी देगा।
“दिल्ली का इतिहास कोई म्यूज़ियम में बंद किताब नहीं है – यह आज भी जीवंत है, हर दिन सांस लेता है, और हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है। इसे भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है,” सांसद ने कहा।
सिर्फ इमारत नहीं, आत्मा है यह विरासत
अपने भावनात्मक संबोधन में खंडेलवाल ने कहा, “हमारी विरासत सिर्फ़ पत्थर और ढांचे नहीं हैं। यह उन कहानियों का संग्रह है जिनमें हमारी सभ्यता का दर्शन होता है। पुरानी दिल्ली के गलियारों में मुगलों का इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम की गूंज, और धार्मिक सहिष्णुता की झलक मिलती है। क्या हम इसे यूं ही लुप्त होते देख सकते हैं?”
सरकार से मांगी दीर्घकालिक योजना
सांसद ने सरकार से आग्रह किया कि दिल्ली की धरोहरों के लिए एक ठोस दीर्घकालिक योजना लाई जाए, जिसमें न केवल संरक्षण और मरम्मत हो, बल्कि उनके सामाजिक और सांस्कृतिक पुनरुद्धार पर भी काम हो। उन्होंने यह भी मांग की कि चांदनी चौक को ‘राष्ट्रीय धरोहर क्षेत्र’ घोषित कर विशेष बजट और योजनाओं के तहत संरक्षण मिले।
“यह सिर्फ़ राजनीति नहीं, मेरे दिल की आवाज़ है”
प्रेस से बात करते हुए सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, “यह मुद्दा मेरे लिए राजनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक है। मैं इसी क्षेत्र में पला-बढ़ा हूं। हर गली, हर कोना मुझे अपनी कहानी सुनाता है। मैं इस ऐतिहासिक विरासत को बचाने के लिए संसद के हर मंच पर आवाज़ उठाता रहूंगा।”