ऑपरेशन सिंदूर: भारत का सशक्त संदेश, दुनिया ने देखा सामरिक कौशल और संकल्प
नई दिल्ली:
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल भारत की सैन्य ताकत को प्रदर्शित किया, बल्कि दुनिया को यह भी दिखा दिया कि देश अपनी सीमाओं की रक्षा और सम्मान के लिए हर समय तैयार है। हाल ही में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की और इसके रणनीतिक पहलुओं पर प्रकाश डाला।
पाकिस्तान का नैरेटिव मैनेजमेंट विफल
सेना प्रमुख ने खुलासा किया कि ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान ने अपने नागरिकों के बीच नैरेटिव मैनेजमेंट सिस्टम का इस्तेमाल किया। इसका उद्देश्य अपने लोगों को यह विश्वास दिलाना था कि वे संघर्ष में सफल हो रहे हैं।
हालांकि, असल सच्चाई इससे बिल्कुल उलट थी। भारतीय सेना ने सटीक रणनीति और तेज निर्णय क्षमता के साथ अपने सभी लक्ष्यों को हासिल किया।
शतरंज जैसी चालाक रणनीति
जनरल द्विवेदी ने इस सैन्य अभियान की तुलना शतरंज के खेल से करते हुए कहा – “युद्ध और शतरंज में समानता यह है कि आप कभी नहीं जानते सामने वाला खिलाड़ी अगली चाल क्या चलेगा।”
इसी वजह से भारतीय सेना ने हर संभावित स्थिति को ध्यान में रखते हुए योजना बनाई और मौके की मांग के अनुसार तुरंत रणनीति में बदलाव किया।
मनोवैज्ञानिक और कूटनीतिक जीत
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य विजय नहीं थी, बल्कि यह एक मनोवैज्ञानिक और कूटनीतिक जीत भी साबित हुई। इसने दुनिया को यह साफ संदेश दिया कि भारत केवल ताकत के दम पर ही नहीं, बल्कि दिमाग और धैर्य के साथ भी हर चुनौती का सामना कर सकता है।
जीत मैदान और दिमाग दोनों में
यह अभियान इस बात का प्रमाण है कि जीत केवल जमीन पर ही नहीं, बल्कि दिमागों और दिलों में भी हासिल की जा सकती है। यही असली “Justice Done” था — जब भारत ने न केवल अपने हित सुरक्षित रखे, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा भी मजबूत की।