अंदर-बाहर से घिरी मोदी सरकार: तीन मोर्चों पर अग्निपरीक्षा
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार इस समय एक साथ तीन मोर्चों पर चुनौती का सामना कर रही है—दो घरेलू स्तर पर और एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर। इन चुनौतियों का राजनीतिक असर सीधे आने वाले चुनावों पर पड़ सकता है।
भीतरूनी मोर्चा: विपक्ष का पलटवार
विपक्ष SIR (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट) और कथित वोट चोरी जैसे संवेदनशील मुद्दों को लेकर सरकार पर हमलावर है। खासतौर पर बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे चुनावी तौर पर अहम राज्यों में ये मुद्दे तेज़ी से गूंज रहे हैं। विपक्ष की कोशिश है कि इन सवालों को चुनावी नैरेटिव में बदलकर सत्ताधारी दल को बैकफुट पर लाया जाए।
बाहरी मोर्चा: वैश्विक दबाव
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की ट्रंप टैरिफ नीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। वहीं सीमाओं पर सीजफायर को लेकर बयानबाजी और बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव भी सरकार के लिए चिंता का कारण बन रहा है।
चुनावी कसौटी
ये सारी परिस्थितियां ऐसे समय में सामने आई हैं जब कुछ ही महीनों में बिहार विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। केंद्र सरकार की इन चुनौतियों से निपटने की क्षमता का असर न सिर्फ बिहार, बल्कि अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल चुनावों में भी देखा जा सकता है।
रणनीति की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के लिए अब ठोस और प्रभावी रणनीति अपनाना बेहद ज़रूरी है। अगर वह मौजूदा चुनौतियों को अवसर में बदल पाती है, तो आगामी चुनावों में अपनी पकड़ और मजबूत कर सकती है। फिलहाल, यही मोदी सरकार की सबसे बड़ी परीक्षा है — नीतियों और निर्णयों की कसौटी पर खुद को साबित करने की।