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7 सितंबर को लगेगा पूर्ण चंद्रग्रहण, दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा सूतक काल

7 सितंबर को लगेगा पूर्ण चंद्रग्रहण, दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा सूतक काल

7 सितंबर को लगेगा पूर्ण चंद्रग्रहण, दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा सूतक काल

आकाश में एक बड़ा खगोलीय नजारा 7 सितंबर को दिखाई देगा। इस दिन भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों से पूर्ण चंद्रग्रहण देखा जा सकेगा। चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि पर होता है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा को ढक लेती है। यही कारण है कि इस बार रात का आसमान खास बनने वाला है।

ग्रहण का समय

भारतीय समयानुसार, 7 सितंबर की रात 8:58 बजे से चंद्रग्रहण शुरू होगा। इसके बाद रात 11:00 बजे से 12:22 बजे तक पूर्ण चंद्रग्रहण का चरण रहेगा, जिसे आम बोलचाल में ब्लड मून भी कहा जाता है। इस दौरान चंद्रमा लालिमा लिए नजर आएगा। पूरा ग्रहण 8 सितंबर की तड़के 1:55 बजे जाकर समाप्त होगा। भारत के अधिकांश हिस्सों से यह पूर्ण चंद्रग्रहण साफ दिखाई देगा।

सूतक काल

हिंदू पंचांग और परंपराओं के अनुसार, ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो जाता है। इसलिए इस बार सूतक 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से प्रारंभ हो जाएगा और ग्रहण खत्म होने तक जारी रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि इस अवधि में वातावरण की शुद्धता कम हो जाती है और पूजा-पाठ निषिद्ध हो जाता है।

धार्मिक मान्यताएँ

सूतक और चंद्रग्रहण के दौरान मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं। लोग देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श नहीं करते और पूजा-पाठ भी नहीं करते। माना जाता है कि इस समय में भोजन करना, सोना या कोई भी शुभ कार्य करना अशुभ फल देता है। गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
ग्रहण से पहले भोजन में तुलसी के पत्ते डालने और ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करके घर की शुद्धि करने की परंपरा है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

खगोल विज्ञान की नजर से देखें तो चंद्रग्रहण एक पूरी तरह प्राकृतिक खगोलीय घटना है। यह तब घटित होता है जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। लालिमा लिए चंद्रमा का दृश्य पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरती सूर्य की किरणों के कारण बनता है। इसे रेली स्कैटरिंग इफेक्ट कहा जाता है। वैज्ञानिक इसे नकारात्मक नहीं बल्कि अध्ययन और अवलोकन का अवसर मानते हैं।

विशेष महत्व

धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण दोनों से यह चंद्रग्रहण खास है। जहां आस्था के स्तर पर लोग इससे बचने के नियम मानते हैं, वहीं खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए यह एक शानदार नजारा होगा।
7 सितंबर की रात को लोग खुले आसमान की ओर देखेंगे, तो उन्हें प्रकृति का यह अद्भुत खेल अपनी आंखों से देखने का मौका मिलेगा।

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Rudra ji