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सियाचिन में बेस कैंप पर भारी हिमस्खलन, 3 जवान शहीद, -60 डिग्री में कर रहे थे पेट्रोलिंग

सियाचिन में बेस कैंप पर भारी हिमस्खलन, 3 जवान शहीद, -60 डिग्री में कर रहे थे पेट्रोलिंग

सियाचिन में बेस कैंप पर भारी हिमस्खलन, 3 जवान शहीद, -60 डिग्री में कर रहे थे पेट्रोलिंग

लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर से मंगलवार, 9 सितंबर को बेहद दुखद समाचार सामने आया। भारतीय सेना के तीन जवान भारी हिमस्खलन (एवलांच) का शिकार हो गए। यह घटना सियाचिन के ऊंचाई वाले बेस कैंप में हुई, जहां अचानक गिरी बर्फ और मलबे के नीचे जवान दब गए। रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद तीनों जवानों के शव बरामद किए गए।

सियाचिन ग्लेशियर कराकोरम पर्वत श्रृंखला में स्थित है और इसकी ऊंचाई लगभग 20,000 फीट मानी जाती है। इस अत्यधिक ठंडे और कठिन क्षेत्र में तापमान -60 डिग्री तक पहुंच जाता है, लेकिन भारतीय सैनिक देश की सुरक्षा के लिए लगातार गश्त और पेट्रोलिंग करते रहते हैं। सेना के मुताबिक, ये शहीद जवान महार रेजिमेंट के थे, जिनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात और झारखंड के जवान शामिल थे।

बताया जा रहा है कि जवान लगभग 5 घंटे तक हिमस्खलन के नीचे फंसे रहे। रेस्क्यू टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें बाहर निकाला, लेकिन वे इस भयानक घटना में शहीद हो गए। इस ऑपरेशन में एक आर्मी कैप्टन भी शामिल था, जिनका रेस्क्यू किया गया।

सियाचिन ग्लेशियर पर सैनिकों की कठिन तैनाती नई नहीं है। 1984 में भारत ने ऑपरेशन मेघदूत के तहत सियाचिन पर अपना नियंत्रण स्थापित किया था। तब से यहां भारतीय सेना ने कठोर मौसम और ऊंचाई की चुनौती के बावजूद चौकियों और गश्तों को कायम रखा है।

इतिहास में सियाचिन और अन्य उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कई बार हिमस्खलन की घटनाएं हुई हैं। साल 2021 में सब-सेक्टर हनीफ में हिमस्खलन के कारण दो जवान शहीद हुए थे, जबकि छह घंटे तक चले रेस्क्यू में बाकी सैनिकों को बचा लिया गया था। साल 2022 में अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में हुए हिमस्खलन में 7 सैनिक शहीद हो गए थे। 2019 में भी लगभग 18,000 फीट की ऊंचाई पर हुई गश्त के दौरान 4 सैनिक और 2 पोर्टर अपनी जान गंवा बैठे थे।

सियाचिन ग्लेशियर की कठिन भौगोलिक स्थिति और मौसम की बेरहम चुनौती के बावजूद, भारतीय जवान यहां लगातार देश की सुरक्षा में तैनात रहते हैं। सेना के अधिकारियों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका बलिदान हमेशा देश के लिए प्रेरणा रहेगा।

इस दुखद घटना ने देश को झकझोर दिया है और सोशल मीडिया पर नागरिकों, सेना परिवारों और विभिन्न राजनेताओं ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी है। रक्षा मंत्रालय ने भी अधिकारियों और रेस्क्यू टीम की तारीफ की, जिन्होंने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में तुरंत कार्रवाई की।

सियाचिन में सैनिकों की तैनाती अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। यहाँ न केवल अत्यधिक ठंड और बर्फीले तूफान का खतरा रहता है, बल्कि ऊंचाई और कम ऑक्सीजन के कारण शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद भारतीय सेना के जवान लगातार देश की सीमा की सुरक्षा में जुटे रहते हैं।

देश इन बहादुर जवानों के साहस और त्याग को कभी नहीं भूल सकता। उनकी याद में पूरे देश ने एक बार फिर से उनकी वीरता को सलाम किया है।

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Rudra ji