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हिंदी दिवस: इतिहास, महत्व और आज के दौर में इसकी प्रासंगिकता, Hindi Diwas

हिंदी दिवस: इतिहास, महत्व और आज के दौर में इसकी प्रासंगिकता, Hindi Diwas

हिंदी दिवस 2025 : इतिहास, महत्व और आज के दौर में इसकी प्रासंगिकता

नई दिल्ली, 14 सितंबर 2025 –

आज पूरे देशभर में हिंदी दिवस बड़े हर्ष और गर्व के साथ मनाया जा रहा है। हर साल 14 सितंबर को यह दिन हमें याद दिलाता है कि हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और एकता का प्रतीक है।

हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?

14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया था। इस दिन हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार, देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला। उसी दिन से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाने लगा।

इसके पीछे उद्देश्य साफ था – पूरे देश में प्रशासन और जनसंचार के लिए एक ऐसी भाषा का चयन करना जो सरल, वैज्ञानिक और व्यापक रूप से समझी जा सके।

हिंदी का इतिहास और विकास

हिंदी की जड़ें संस्कृत भाषा से जुड़ी हैं और यह समय के साथ अपभ्रंश और प्राकृत से विकसित हुई।

कबीर, सूरदास, तुलसीदास जैसे कवियों ने हिंदी को जनमानस की भाषा बनाया।

19वीं और 20वीं सदी में भारतेंदु हरिश्चंद्र, प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद और निराला जैसे साहित्यकारों ने इसे आधुनिक और सशक्त रूप दिया।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी जनजागरण और एकता का सबसे बड़ा हथियार बनी।

हिंदी भाषा की विशेषताएँ

हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।

यह लगभग 50 करोड़ से अधिक लोगों की मातृभाषा और 70 करोड़ से ज्यादा लोगों की संपर्क भाषा है।

हिंदी की लिपि देवनागरी को सबसे वैज्ञानिक लिपि माना जाता है।

यह भाषा सरल, सहज और भावनात्मक अभिव्यक्ति में सक्षम है।

आधुनिक दौर में हिंदी की स्थिति

डिजिटल युग में हिंदी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है।

गूगल और यूट्यूब पर हिंदी कंटेंट की मांग अंग्रेज़ी से भी ज्यादा हो चुकी है।

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर हिंदी कंटेंट क्रिएटर्स करोड़ों दर्शकों तक पहुंच बना रहे हैं।

अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों में हिंदी सीखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

बड़े टेक कंपनियां भी अब हिंदी पर खास ध्यान दे रही हैं, चाहे वह गूगल असिस्टेंट हो या अमेज़न एलेक्सा।

हिंदी पत्रकारिता और मीडिया की भूमिका

हिंदी पत्रकारिता ने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज तक समाज को जागरूक करने का काम किया है।

आज हिंदी अखबार, न्यूज़ चैनल और डिजिटल पोर्टल देश की सबसे बड़ी जनसंख्या तक पहुंच बना रहे हैं।

21वीं सदी में ऑनलाइन पत्रकारिता ने हिंदी को एक नया मंच दिया है।

हिंदी दिवस का महत्व

हिंदी दिवस केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह हमें हमारी संस्कृति और भाषाई गौरव का स्मरण कराता है।

यह दिन हमें अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व महसूस कराता है।

हमें याद दिलाता है कि हिंदी केवल घर की भाषा नहीं, बल्कि राष्ट्र की पहचान है।

यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम हिंदी को आधुनिक विज्ञान, तकनीक, शिक्षा और व्यवसाय के क्षेत्र में भी आत्मविश्वास के साथ इस्तेमाल करें।

चुनौतियाँ और अवसर

भले ही हिंदी का प्रभाव बढ़ रहा है, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं –

अंग्रेज़ी को श्रेष्ठ मानने की मानसिकता अभी भी समाज में मौजूद है।

शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में अंग्रेज़ी का दबदबा बना हुआ है।

कई बार शुद्ध हिंदी की बजाय अंग्रेज़ी मिश्रित हिंदी का अत्यधिक प्रयोग भाषा की मूल पहचान को कमजोर करता है।

लेकिन इसके बावजूद अवसर भी उतने ही बड़े हैं –

हिंदी सिनेमा, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स ने इसे नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया है।

सरकारी नीतियाँ हिंदी के प्रसार और प्रोत्साहन पर जोर दे रही हैं।

हिंदी साहित्य और कविता आज भी नई पीढ़ी को आकर्षित कर रही है।

हिंदी दिवस, केवल एक दिवस नहीं है, बल्कि यह हमारी भाषाई अस्मिता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। हिंदी ने हमें जोड़ा है, हमें अभिव्यक्ति दी है और हमें वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है।

👉 आज का संकल्प होना चाहिए कि हम हिंदी को केवल बोलचाल तक सीमित न रखें, बल्कि इसे शिक्षा, व्यवसाय, तकनीक और प्रशासन में भी सम्मान के साथ प्रयोग करें।

नेशनल कैपिटल टाइम्स 

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Rudra ji