धनतेरस 2025: स्वास्थ्य, समृद्धि और शुभता का आरंभ
नई दिल्ली: दीपावली पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है। यह दिन हर वर्ष कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है। यह दिन धन, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए विशेष माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन माँ लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि का पूजन करने से घर में धन, वैभव और आरोग्य की वृद्धि होती है।
धनतेरस का धार्मिक महत्व *‘धन’ और ‘तेरस’* शब्दों के संगम से बना है। जहाँ ‘धन’ का अर्थ होता है संपत्ति या समृद्धि, वहीं ‘तेरस’ त्रयोदशी तिथि को दर्शाता है।
मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय आज ही के दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उन्हें आयुर्वेद का जनक और देवताओं का वैद्य कहा जाता है। इसी कारण इस दिन स्वास्थ्य और आरोग्य की कामना के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हेम के पुत्र की मृत्यु का योग धनतेरस की रात था, लेकिन उसकी पत्नी ने घर के द्वार पर दीये जलाकर, सोने-चांदी के आभूषणों से दीप सजाकर यमराज की दिशा में रोशनी की। इससे मृत्यु टल गई और तभी से “यमदीपदान” की परंपरा शुरू हुई। इसीलिए धनतेरस को यमराज की आराधना और दीयों का पर्व भी कहा जाता है।
वर्तमान समय में धनतेरस पर सोना, चांदी, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन की गई खरीदारी घर में समृद्धि लाती है। अब कई लोग आधुनिक रूप में डिजिटल गोल्ड, म्यूचुअल फंड या सिक्कों में निवेश को भी शुभ मानने लगे हैं।
धनतेरस: पूजा विधि
1. शाम को घर के पूर्व या उत्तर दिशा में पूजा स्थल तैयार करें।
2. भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर की प्रतिमा स्थापित करें।
3. धूप, दीप, फूल, चंदन, मिठाई और जल से पूजा करें।
4. “ॐ धन्वंतरये नमः” मंत्र का 108 बार जाप शुभ माना जाता है।
5. घर के बाहर दक्षिण दिशा में एक दीपक यमराज के नाम से जलाएं — इसे यमदीप कहा जाता है।
🌼 संदेश
धनतेरस केवल खरीदारी का दिन नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, समृद्धि और सतत शुभ कर्मों का आरंभ है।
इस धनतेरस, स्वर्ण से अधिक मूल्यवान सद्भाव और स्वास्थ्य को अपनाइए।
नेशनल कैपिटल टाइम्स