रिपोर्ट — विशेष ब्यूरो
दुनिया की चमकती ग्लैमरस इंडस्ट्री के पीछे एक ऐसा वर्ग भी काम करता है जो हमेशा सुर्खियों में नहीं रहता, लेकिन सुर्खियों को बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इन्हें कहा जाता है—Paparazzi यानी पैपराज़ी।
पैपराज़ी ऐसे स्वतंत्र फोटोग्राफर होते हैं जो मशहूर व्यक्तियों—फ़िल्म सितारों, संगीतकारों, खेल सितारों, राजनेताओं और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स—की निजी या सार्वजनिक गतिविधियों की तस्वीरें उनकी अनुमति के बिना खींचते हैं। उनका उद्देश्य इन तस्वीरों को समाचार एजेंसियों, टैब्लॉयड्स या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को बेचकर कमाई करना होता है।
लेकिन पैपराज़ी की दुनिया सिर्फ चमक-धमक नहीं है; यह विवादों, नैतिकता, निजता और कानून के बीच लगातार चलती खींचतान की कहानी भी है।
पैपराज़ी शब्द की उत्पत्ति: एक फिल्म से आया असली नाम
बहुत लोग सोचते हैं कि “पैपराज़ी” शब्द किसी अंग्रेज़ी शब्द से निकला है, लेकिन इसकी जड़ें इटली में हैं।
1960 में मशहूर इटालियन निर्देशक Federico Fellini ने एक फिल्म बनाई—La Dolce Vita। इस फिल्म में एक कैरेक्टर था—फोटोग्राफर Paparazzo।
यही नाम बाद में दुनिया भर में उन फोटोग्राफरों का पर्याय बन गया जो सितारों का पीछा करते हैं।
धीरे-धीरे अंग्रेज़ी में इसका बहुवचन “Paparazzi” लोकप्रिय हो गया, जिसका मतलब है—भीड़ में मौजूद वे लोग जो कैमरा उठाए किसी सेलिब्रिटी की हर हरकत पर नजर रखते हैं।
पैपराज़ी का काम कैसे चलता है?
पैपराज़ी स्वतंत्र रूप से काम करते हैं। वे किसी मीडिया हाउस के स्थायी कर्मचारी नहीं होते, बल्कि ‘फ्रीलांस शूटर’ की तरह काम करते हैं।
उनके काम करने का तरीका कुछ इस प्रकार है—
1. लोकेशन ट्रैकिंग
वे सितारों की लोकेशन ट्रैक करते हैं—एयरपोर्ट, रेस्टोरेंट, होटल, जिम, शूटिंग लोकेशन, पार्टी स्पॉट आदि।
2. टिप-ऑफ नेटवर्क
कई बार इन्हें अंदरूनी स्रोतों से जानकारी मिलती है—जैसे होटल स्टाफ, एयरपोर्ट कर्मचारी, इवेंट मैनेजर या स्थानीय टैक्सी ड्राइवर।
3. अचानक कैमरे की बौछार
जैसे ही कोई सेलिब्रिटी बाहर आता है, कैमरों की फ्लैश लगातार चलने लगती है। अक्सर यह दृश्य सितारे की मर्जी के खिलाफ होता है।
4. तस्वीरों की बिक्री
एक अच्छी, एक्सक्लूसिव या विवादास्पद तस्वीर लाखों रुपये तक बिक सकती है। मीडिया वेबसाइटें, मैगज़ीन, डिजिटल पोर्टल इन्हें महंगी कीमत पर खरीदते हैं।
भारत में पैपराज़ी संस्कृति का उभार
भारत में पैपराज़ी पहले उतने सक्रिय नहीं थे। लेकिन सोशल मीडिया और बॉलीवुड की बढ़ती पॉपुलैरिटी के साथ एक पूरा पैपराज़ी नेटवर्क विकसित हो गया है।
मुंबई में ऐसे कई स्वतंत्र फोटोग्राफर हैं, जो सुबह-शाम एयरपोर्ट, बांद्रा-जुहू, जिम, स्टूडियो और रेस्टोरेंट के बाहर तैनात रहते हैं।
कुछ कारण जिनसे भारत में पैपराज़ी तेजी से बढ़े—
बॉलीवुड सितारों की वैश्विक लोकप्रियता
इंस्टाग्राम पर वायरल होने का चलन
मीडिया पोर्टलों की ‘तुरंत खबर’ की जरूरत
सेलिब्रिटी बच्चों की फैन्स फॉलोइंग (जैसे तैमूर, अबराम आदि)
PR एजेंसियों का कई बार खुद फोटो लीक करना
कई बार तो सेलिब्रिटी खुद भी पैपराज़ी को बुलाते हैं ताकि उनकी उपस्थिति मीडिया में बनी रहे। इसे “PR Paparazzi” भी कहा जाता है।
निजता बनाम समाचार की लड़ाई
पैपराज़ी को लेकर सबसे बड़ी बहस निजता (privacy) की है।
सेलिब्रिटी भले ही सार्वजनिक जीवन में रहते हैं, लेकिन उनकी निजी जिंदगी का भी संवैधानिक महत्व है।
अक्सर उठने वाले सवाल—
क्या किसी सेलिब्रिटी की सहमति के बिना उसकी तस्वीर लेना सही है?
क्या सितारों को अपने बच्चों की तस्वीरें छिपाने का अधिकार नहीं होना चाहिए?
क्या मीडिया की “जिज्ञासा” जनता के “अधिकार” से अधिक हो जाती है?
कई देश—विशेषकर यूरोपीय देशों—ने इसके खिलाफ कानून भी बनाए हैं।
वैश्विक स्तर पर बड़े विवाद
1. प्रिंसेस डायना की मौत (1997)
कई जांचों में बताया गया कि कार का पीछा कर रहे पैपराज़ी भी दुर्घटना के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार थे।
यह मामला पैपराज़ी नैतिकता पर दुनिया की सबसे बड़ी बहस बन गया।
2. हॉलीवुड में कई मुकदमे
जस्टिन बीबर, कान्ये वेस्ट, ब्रिटनी स्पीयर्स जैसों ने पैपराज़ी के खिलाफ कई मामलों में शिकायत दर्ज करवाई।
3. एयरपोर्ट और अस्पताल विवाद
अमेरिका में कई बार पैपराज़ी अस्पतालों और निजी समारोहों तक पहुंच जाते हैं—जिस पर भारी आलोचना होती है।
भारत में भी विवाद कम नहीं
1. तैमूर अली खान का मामला
करीना-सैफ ने कई बार पैपराज़ी से दूरी बनाए रखने की अपील की क्योंकि तैमूर छोटा बच्चा था।
2. जया बच्चन का बयान
उन्होंने पैपराज़ी पर “अत्यधिक दखल” का आरोप लगाया और सार्वजनिक मंच पर नाराजगी जताई।
3. अनुष्का शर्मा-विराट कोहली
वे अपने बच्चे की तस्वीरें सार्वजनिक न करने को लेकर सख्त रहे—और पैपराज़ी को साफ संदेश दिया।
पैपराज़ी—मीडिया का जरूरी हिस्सा भी और चुनौती भी
कई विशेषज्ञों का मानना है कि पैपराज़ी पूरी तरह गलत नहीं हैं।
सेलिब्रिटी और मीडिया का संबंध दो-तरफा है—
स्टार को फेम चाहिए
मीडिया को खबर चाहिए
जनता को मनोरंजन चाहिए
कई मामलों में पैपराज़ी ने अपराध, ड्रग्स, रिलेशनशिप, भ्रष्टाचार और विवादों को उजागर करने में भी भूमिका निभाई है।
लेकिन जब यह “आवश्यक पत्रकारिता” से आगे बढ़कर “निजता का उल्लंघन” बन जाती है—तभी विवाद पैदा होते हैं।
क्या होना चाहिए? विशेषज्ञ क्या कहते हैं
1. सेलिब्रिटी को सीमाएँ तय करने का अधिकार
वे अपनी प्राइवेसी का दायरा खुद तय करें और मीडिया उसका सम्मान करे।
2. बच्चों की तस्वीरों पर सख्त नियम
दुनिया के कई देशों की तरह भारत में भी इसकी जरूरत महसूस की जा रही है।
3. मीडिया और पैपराज़ी के लिए आचार संहिता
किस परिस्थिति में, किस दूरी से और किन जगहों पर फोटो खींची जा सकती है—इस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए।
पैपराज़ी आज की मनोरंजन और मीडिया इंडस्ट्री का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं।
वे सेलिब्रिटी संस्कृति के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, लेकिन साथ ही निजता, नैतिकता और कानून से जुड़े प्रश्न भी खड़े करते हैं।
भविष्य में यह संतुलन—जिज्ञासा और निजता के बीच—कैसे बनाया जाता है, यही इस इंडस्ट्री का सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा।
नेशनल कैपिटल टाइम्स












