भारत के संविधान का अनुच्छेद 74: राष्ट्रपति को सहायता और सलाह
नई दिल्ली।
भारत के संविधान का अनुच्छेद 74 देश की लोकतांत्रिक संरचना का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह अनुच्छेद स्पष्ट करता है कि भारत के राष्ट्रपति को अपने कार्यों के निर्वहन में मंत्रिपरिषद की सलाह लेनी होगी। यह प्रावधान संविधान के भाग 5, अध्याय 1 – कार्यपालिका में निहित है और भारत की संसदीय प्रणाली की आत्मा को दर्शाता है।
संविधान के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति, जो देश के औपचारिक प्रमुख होते हैं, वे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद की सलाह से बंधे होते हैं। यानी राष्ट्रपति अपनी व्यक्तिगत इच्छानुसार निर्णय नहीं ले सकते, बल्कि उन्हें हर निर्णय से पहले मंत्रिपरिषद से सलाह लेनी और उसी के अनुसार कार्य करना अनिवार्य होता है।
क्या कहता है अनुच्छेद 74?
अनुच्छेद 74(1) के अनुसार:
“एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रधान मंत्री अध्यक्ष होगा और जो राष्ट्रपति को उसके कार्यों के निर्वहन में सहायता और सलाह देगी। राष्ट्रपति इस सलाह के अनुसार कार्य करेगा।”
हालांकि, 1976 के 42वें संविधान संशोधन द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह मानना अनिवार्य होगा। बाद में, 1978 में हुए 44वें संविधान संशोधन ने राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया कि वे किसी सलाह पर पुनर्विचार के लिए मंत्रिपरिषद को एक बार लौटा सकते हैं, लेकिन यदि मंत्रिपरिषद वही सलाह फिर से देती है, तो राष्ट्रपति को उसे मानना ही होगा।
अनुच्छेद 74(1) (42वें और 44वें संविधान संशोधन के बाद):
“There shall be a Council of Ministers with the Prime Minister at the head to aid and advise the President who shall, in the exercise of his functions, act in accordance with such advice.”
क्यों है यह व्यवस्था जरूरी?
यह अनुच्छेद संसदीय लोकतंत्र की अवधारणा को मजबूत करता है, जिसमें वास्तविक कार्यकारी शक्ति प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के पास होती है। राष्ट्रपति एक संवैधानिक प्रमुख होते हैं, जबकि प्रधानमंत्री और उनके सहयोगी मंत्री जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं। इसीलिए, निर्णयों की वैधता और लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान जरूरी है।
क्या राष्ट्रपति स्वतंत्र नहीं हैं?
संवैधानिक दृष्टि से राष्ट्रपति के पास कुछ विशिष्ट अधिकार होते हैं, लेकिन उनकी भूमिका अधिकतर औपचारिक या प्रतीकात्मक होती है। किसी भी निर्णय—चाहे वह अध्यादेश जारी करना हो, संसद सत्र बुलाना हो या किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना हो—इन सभी में उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह लेनी होती है।
अनुच्छेद 74 यह सुनिश्चित करता है कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें गहरी और जवाबदेह बनी रहें। यह न केवल कार्यपालिका के संतुलन को बनाए रखने में सहायक है, बल्कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दायित्वों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।