चालुक्य काल की धरोहर: पापनासी मंदिर समूह और भगवान हनुमान की अद्वितीय प्रतिमा
तेलंगाना की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है चालुक्य काल का प्रसिद्ध पापनासी मंदिर समूह, जहां भगवान हनुमान की बारीक नक्काशीदार मूर्ति कला और आस्था का अद्वितीय संगम प्रस्तुत करती है। ये मंदिर चालुक्य स्थापत्य कला के जीवंत उदाहरण माने जाते हैं, जिनकी दीवारों, स्तंभों और शिखरों पर की गई कलाकृतियाँ आज भी श्रद्धा और आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
हालांकि, एक समय ऐसा भी आया जब यह अनमोल धरोहर विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई थी। पापनासी मंदिरों के डूबने का खतरा मंडराने लगा था। ऐसे कठिन समय में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इन मंदिरों को बचाने का बीड़ा उठाया। 1985 से 1998 के बीच ASI ने एक बड़े स्तर का पुनर्स्थापन और संरक्षण अभियान चलाया। इस अभियान के तहत यहां स्थित सभी 23 मंदिरों को सुरक्षित रूप से स्थानांतरित कर वर्तमान स्थल पर स्थापित किया गया।

इस कठिन कार्य के दौरान मंदिरों के हर पत्थर, स्तंभ और मूर्ति को सावधानीपूर्वक संरक्षित कर नई जगह पर उसी शैली में पुनर्निर्मित किया गया, ताकि इनके मौलिक स्वरूप और कलात्मक पहचान को कोई क्षति न पहुँचे। इस प्रयास के कारण आज पापनासी मंदिर समूह न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहासकारों, कला-प्रेमियों और पर्यटकों के लिए भी विशेष आकर्षण का स्थल बना हुआ है।
आज यह मंदिर परिसर अपने सूक्ष्म शिल्प, भव्य स्थापत्य और ऐतिहासिक महत्व के कारण चालुक्य शिल्पकला का जीवंत प्रतीक है। यह धरोहर यह संदेश देती है कि हमारी संस्कृति समय और संकट दोनों की कसौटी पर खरी उतरती है।