दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहर — ‘दिलकुशा’ मकबरा
दिल्ली की हवाओं में इतिहास की खुशबू बसी है। इन्हीं ऐतिहासिक गलियों में बसा है एक कम जाना-पहचाना मगर बेहद खूबसूरत स्मारक — मकबरा दिलकुशा।
इतिहासकारों के अनुसार, इस मकबरे का निर्माण मुगल सम्राट अकबर की धाय माँ महम अंगा के पुत्र मुहम्मद कुली ख़ाँ की स्मृति में करवाया गया था। यह इमारत न केवल मुग़ल स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है, बल्कि उन कहानियों का भी गवाह है जो समय की रेत में दब चुकी थीं।
ब्रिटिश काल में जब दिल्ली पर अंग्रेज़ी छाया पड़ी, तब इस मकबरे को अंग्रेज अधिकारी सर थॉमस मेटकॉफ ने अपने गर्मियों के घर के रूप में अपना लिया और इसका नाम रखा — दिलकुशा।
नाम ही जैसे इसकी सुंदरता और शांति का परिचायक बन गया।
समय के थपेड़ों ने इसकी दीवारों की नक्काशी को मद्धम कर दिया था, पहचान खोने लगी थी, मगर इतिहास को मिटने नहीं दिया गया।
आज यह इमारत Delhi Development Authority द्वारा संरक्षित Mehrauli Archaeological Park की शान है — संजोया गया, संवारा गया, और इतिहास की रगों में फिर से जान फूंकी गई।
🌿 अगर आप दिल्ली में हैं, तो इस विरासत से मिलने ज़रूर जाएं।
यह न केवल एक स्मारक है, बल्कि बीते दौर की आत्मा है।
नेशनल कैपिटल टाइम