10 मिनट में डिलीवरी कोई चमत्कार नहीं, ये मज़दूरों के शोषण और कानूनों की धज्जियाँ उड़ाने का खेल है” – सांसद प्रवीण खंडेलवाल का बड़ा हमला
नई दिल्ली – देश में तेजी से पैर पसार रही क्विक कॉमर्स सेवाओं (10 मिनट डिलीवरी मॉडल) पर सवाल खड़े करते हुए सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि “10 मिनट में डिलीवरी कोई तकनीकी चमत्कार नहीं, बल्कि मज़दूरों के शोषण, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी और कानूनी उल्लंघनों की एक पूरी चेन है।”

प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि क्विक कॉमर्स कंपनियां न सिर्फ FDI (विदेशी निवेश) नियमों, बल्कि प्रतिस्पर्धा कानूनों का भी खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं। उन्होंने दावा किया कि “ये कंपनियां बड़े पूंजीपतियों के इशारों पर छोटे व्यापारियों को खत्म करने की साजिश रच रही हैं।”
“ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स – बड़े और छोटे भाई हैं”
प्रवीण खंडेलवाल ने अपने वक्तव्य में कहा, “मैंने हमेशा कहा है कि ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स, बड़े-छोटे भाई हैं। दोनों की नीयत एक जैसी है — देश के छोटे दुकानदारों, रिटेलर्स और व्यापारियों को धीरे-धीरे खत्म करना। इस देश के व्यापारी वर्ग को सोचना होगा कि इस डिजिटल चकाचौंध के पीछे असल में कितना अंधकार छिपा है।”
क्विक डिलीवरी की असली कीमत:
🔻 डिलीवरी बॉयज़ पर असहनीय दबाव
🔻 ट्रैफिक नियमों की अवहेलना
🔻 समय से पहले डिलीवरी के लिए जान जोखिम में डालना
🔻 न्यूनतम वेतन और असुरक्षित कार्य परिस्थितियाँ
🔻 पारंपरिक किराना और रिटेल सेक्टर का नुकसान
सरकार से की गई मांग:
🔹 सांसद खंडेलवाल ने केंद्र सरकार से FDI नियमों की समीक्षा, डिजिटल प्लेटफॉर्म की जांच और मज़दूर हितों की सुरक्षा के लिए सख़्त कदम उठाने की मांग की है।
🔹 साथ ही उन्होंने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) से अपील की है कि वह इन कंपनियों की डिस्काउंटिंग नीति, डेटा एकाधिकार और लॉजिस्टिक शोषण की गहराई से जांच करे।