भाषा विवाद पर FIR की मांग: ललिता कुमारी केस को आधार बना सुप्रीम कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता
महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर MNS प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में ठाकरे के बयान को लेकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। यह मांग सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक “ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार” (2013) केस में दिए गए निर्देशों के आधार पर की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में स्पष्ट कहा था कि—
“अगर किसी संज्ञेय अपराध की सूचना मिले, तो पुलिस के लिए एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है।”
क्या था ललिता कुमारी केस?
ललिता कुमारी, एक नाबालिग लड़की थी, जिसका अपहरण हो गया था।
उसके पिता भोला कामत ने पुलिस में एफआईआर करवानी चाही, लेकिन पुलिस ने मना कर दिया।
इसके बाद उन्होंने अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए संविधान पीठ को सौंपा। 2013 में फैसला आया कि—
एफआईआर दर्ज न करना पुलिस का “कानूनी और संवैधानिक कर्तव्य” का उल्लंघन माना जाएगा।
अनुच्छेद 32 क्या है?
अनुच्छेद 32 के तहत कोई भी नागरिक अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकता है।