डाकोर मंदिर में दिवाली के बाद सालो पुरानी निभाई जाती है,अनोखी अन्नकूट परंपरा, भक्तों ने किया धावा
डाकोर, गुजरात: दिवाली के बाद गुजरात के डाकोर जी मंदिर में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, इस परंपरा में भगवान कृष्ण को समर्पित ‘अन्नकूट’ प्रसाद बनाया जाता है, जिसका वजन 3,000 किलो से अधिक होता है। अनोखी बात यह है कि इसे बांटने की जगह भक्त इसे पाने के लिए मंदिर में धावा बोलते हैं, जिसे देखने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
डाकोर मंदिर की यह परंपरा स्थानीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। हर साल दिवाली के बाद यहाँ हजारों भक्त इकट्ठा होते हैं और भगवान श्री रंचोद्राज महाराज को अर्पित इस विशाल प्रसाद का हिस्सा बनने के लिए तैयार रहते हैं। अन्नकूट बनाने की प्रक्रिया में स्थानीय महिलाएं और पुरुष दिन-रात जुट जाते हैं। अनाज, दालें, मिठाइयां और अन्य सामग्रियों से तैयार यह प्रसाद मंदिर की प्राचीन परंपरा और भक्तों की भक्ति को दर्शाता है।
इस वर्ष भी हजारों श्रद्धालुओं ने अन्नकूट लूटने की इस रोचक परंपरा में भाग लिया। मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। पुलिस बल तैनात कर भक्तों और दर्शकों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई। प्रशासन ने कहा कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे व्यवस्थित ढंग से निभाना जरूरी है, ताकि किसी को चोट न पहुंचे।
डाकोर का अन्नकूट उत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि गुजरात की सांस्कृतिक विरासत में भी इसकी अलग पहचान है। स्थानीय लोग इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान और भाईचारे का प्रतीक मानते हैं। अन्नकूट के “लूटने” की परंपरा में शामिल होना भक्तों के लिए खुशी और उत्साह का कारण बनता है।

इस तरह की परंपराएँ न केवल धार्मिक महत्व रखती हैं बल्कि सामुदायिक एकजुटता और स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा देती हैं। डाकोर मंदिर का यह उत्सव लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है और इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।
इस तरह, डाकोर की अन्नकूट परंपरा सदियों से भगवान कृष्ण की भक्ति और स्थानीय संस्कृति को जीवित रख रही है। हर साल दिवाली के बाद यह अनोखा उत्सव भक्तों के लिए विश्वास और भक्ति का अनुभव बन जाता है, जिसे देखना हर श्रद्धालु के लिए एक यादगार अवसर होता है।












