लेह की सड़कों पर दौड़ी भारत की पहली ग्रीन हाइड्रोजन बस सेवा — NTPC ने रचा इतिहास
लेह, लद्दाख | भारत ने स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। समुद्र तल से 11,562 फीट की ऊंचाई पर, एनटीपीसी (NTPC) के ग्रीन हाइड्रोजन स्टेशन से देश की पहली व्यावसायिक ग्रीन हाइड्रोजन बस सेवा की शुरुआत हो चुकी है। यह न केवल भारत, बल्कि दुनिया का सबसे ऊंचाई पर बना हाइड्रोजन प्रोजेक्ट भी है।
अब लेह की सड़कों पर पाँच हाइड्रोजन से चलने वाली बसें दौड़ रही हैं – न धुआं, न शोर, सिर्फ़ जलवाष्प। ये बसें पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं, बल्कि शुद्ध हवा छोड़ती हैं। खास बात ये कि इन बसों का ईंधन भी स्थानीय रूप से उत्पादित होता है – NTPC का 1.7 मेगावाट का सोलर प्लांट पानी को इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया से साफ़ हाइड्रोजन में बदलता है, और यही हाइड्रोजन इन बसों को ऊर्जा देती है।
पर्यावरण को मिलेगा बड़ा लाभ:
हर साल लगभग 350 टन कार्बन उत्सर्जन की कटौती होगी।
यह उत्सर्जन कटौती वैसी ही है जैसे 13,000 पेड़ हवा को साफ करते हैं।
केवल जलवाष्प उत्सर्जन – कोई कार्बन नहीं, कोई धुआं नहीं।
इन बसों को विशेष रूप से लद्दाख के ठंडे, ऊबड़-खाबड़ और कम ऑक्सीजन वाले इलाकों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मतलब है कि तकनीक अब भारत के सबसे कठिन क्षेत्रों में भी हरित भविष्य को संभव बना रही है।
लद्दाख: टूरिज़्म से टेक्नोलॉजी तक
इस परियोजना ने लद्दाख को सिर्फ़ एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन से आगे बढ़ाकर भारत के हरित ऊर्जा मिशन का प्रमुख केंद्र बना दिया है। यह पहल ना सिर्फ़ भारत के 2030 तक Net-Zero लक्ष्य की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि देश को ग्रीन हाइड्रोजन तकनीक में वैश्विक नेतृत्व की ओर भी अग्रसर करती है।
भारत की यह उपलब्धि बताती है – आने वाला कल स्वच्छ, टिकाऊ और आत्मनिर्भर होगा।