ग्रीनलैंड की बर्फ पर बनी ‘स्माइली फेस’, पर वैज्ञानिकों की गहरी नजर — क्या यह ग्लोबल वार्मिंग का संकेत है?
ग्रीनलैंड की विशाल आइस शीट पर हर साल गर्मियों के मौसम में जब बर्फ और बर्फबारी का पानी पिघलता है, तो वहां नीले रंग की झीलें और तालाब बन जाते हैं। इस बार कुछ अलग हुआ – अमेरिकी उपग्रह Landsat 9 ने ऐसी दुर्लभ तस्वीर कैद की जिसमें ये नीले रंग की झीलें एक ‘स्माइली फेस’ के आकार में नजर आईं।
हालांकि यह देखने में मजेदार लग सकता है, लेकिन वैज्ञानिक इस पर बेहद गंभीर नजर रखे हुए हैं। ये मेल्ट वाटर पॉन्ड्स (पिघले पानी की झीलें) न केवल ग्लोबल वार्मिंग के संकेत हैं, बल्कि ये ग्रीनलैंड आइस शीट के व्यवहार को बदलने में अहम भूमिका निभाते हैं।
कैसे बनती हैं ये झीलें?
ग्रीनलैंड की बर्फ की परत पर गर्मियों के दौरान मई से सितंबर तक तापमान बढ़ने पर बर्फ पिघलने लगती है। यह पिघला हुआ पानी सतह पर इकट्ठा होकर नीले रंग की झीलों का रूप ले लेता है। जब ये झीलें बहुत बड़ी हो जाती हैं, तो ये बर्फ में दरारें (crevasses) पैदा कर सकती हैं। ये दरारें पिघले पानी को बर्फ की निचली सतह तक पहुंचा देती हैं, जहां वह बर्फ और चट्टान के बीच चिकनाई (lubricant) का काम करता है। इससे बर्फ की शीट तेज़ी से समुद्र की ओर खिसकने लगती है।
क्यों है यह चिंताजनक?
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस तरह की झीलें अगर अधिक संख्या में और जल्दी बनने लगें, तो यह संकेत है कि ग्रीनलैंड में पिघलने का मौसम अधिक तीव्र हो रहा है, जो कि जलवायु परिवर्तन का प्रत्यक्ष परिणाम है। पिघलती बर्फ और समुद्र की ओर बहती आइस शीटें समुद्र के जलस्तर को बढ़ा सकती हैं, जिससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
‘स्माइली फेस’ की तस्वीर बनी चर्चा का विषय
Landsat 9 की ली गई तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, जिसमें ये झीलें एक मुस्कराते चेहरे का आभास देती हैं। लेकिन इस ‘मुस्कान’ के पीछे प्रकृति की एक गहरी पीड़ा छिपी है — जो मानवजनित ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की तरफ इशारा करती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं अब अधिक बार देखने को मिल रही हैं, और यह समय है कि हम जलवायु संरक्षण के उपायों को गंभीरता से लें।