बिहार की पहचान बना कसार का लड्डू, त्योहार और शादी-ब्याह का अहम हिस्सा
पटना। बिहार की सांस्कृतिक धरोहर में कई पारंपरिक व्यंजन शामिल हैं, जिनमें कसार के लड्डू सबसे खास माने जाते हैं। यह मिठाई न सिर्फ स्वाद में अनोखी है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक महत्व के कारण इसे बिहार की परंपराओं की पहचान भी माना जाता है। छठ पूजा, मकर संक्रांति, तीज और शादी-ब्याह जैसे हर शुभ अवसर पर कसार का लड्डू बनाना लगभग अनिवार्य परंपरा रही है।
परंपरा और धार्मिक महत्व
कसार लड्डू का संबंध विशेष रूप से छठ महापर्व से गहराई से जुड़ा है। छठ में सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद के रूप में कसार लड्डू चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है। चावल या गेहूं के दरदरे आटे, गुड़ और घी से बने यह लड्डू न सिर्फ स्वास्थ्यवर्धक होते हैं बल्कि इन्हें पवित्र प्रसाद माना जाता है। यही कारण है कि इसे बिहार के गांव-गांव में छठ पूजा से ठीक पहले घर-घर में तैयार किया जाता है।
शादी-ब्याह में विशेष स्थान
बिहार की लोक परंपराओं में कसार का लड्डू शादी-ब्याह में भी शुभता का प्रतीक है। दूल्हा-दुल्हन के घरों में इस लड्डू को बनाकर रिश्तेदारों और मेहमानों को खिलाने की प्रथा है। कहा जाता है कि बिना कसार लड्डू के विवाह रस्में अधूरी मानी जाती हैं। यही वजह है कि कसार लड्डू को शादी का “अटूट हिस्सा” कहा जाता है।
बनाने की विधि
कसार लड्डू बनाने की विधि बेहद सरल लेकिन पारंपरिक है। सबसे पहले चावल को दरदरा पीसा जाता है और उसे हल्का भून लिया जाता है। फिर उसमें शुद्ध देसी घी और गुड़ या चीनी का बूरा मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है। चाहें तो उसमें सौंफ और सूखे मेवे भी मिलाए जाते हैं। इसके बाद इस मिश्रण से हाथों से गोल-गोल लड्डू बना लिए जाते हैं। कसार की यही सादगी इसे आम और खास हर मौके पर लोकप्रिय बनाती है।
बिहार से बाहर भी लोकप्रियता
समय के साथ बिहार से बाहर बसे लोग भी इस मिठाई को अपने त्योहारों में शामिल करने लगे हैं। दिल्ली, मुंबई, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में रहने वाले बिहारी परिवार अपने घरों में छठ पूजा या विवाह के दौरान कसार लड्डू ज़रूर बनाते हैं। आज सोशल मीडिया और यूट्यूब चैनलों पर भी कसार की रेसिपी को लेकर जबरदस्त उत्सुकता देखी जाती है।
सांस्कृतिक धरोहर
विशेषज्ञ मानते हैं कि कसार लड्डू सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि बिहार की लोक-संस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रतीक है। यह नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम भी है। जिस तरह से रसगुल्ला बंगाल की पहचान बना, उसी तरह कसार लड्डू को बिहार की मिठाइयों का गौरव कहा जाता है।
कुल मिलाकर, कसार लड्डू बिहार की संस्कृति, धार्मिक आस्था और पारिवारिक परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है। यह सिर्फ खाने की वस्तु नहीं, बल्कि सामाजिक रिश्तों की मिठास और लोक-जीवन की पहचान है।