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ACB के समक्ष आए मनीष सिसोदिया, आरोपित क्लासरूम घोटाले की जांच हुई, AAP ने किया उत्तर।

नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) के समक्ष उपस्थित हुए हैं। ACB की टीम ने उनसे कथित क्लासरूम घोटाले के मामले में पूछताछ की। इस संदर्भ में ACB ने सत्येंद्र जैन से भी पूछताछ के लिए उपस्थित होने का अनुरोध किया है। आम आदमी पार्टी के दोनों पदाधिकारियों को ACB ने समन भेजा था और पूछताछ के लिए बुलाया था। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन पर इसी मामले में ACB ने पहले FIR दर्ज की थी। एसीबी ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व लोक निर्माण मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज किया था।

आम आदमी पार्टी ने जताई अपनी राय

मनीष सिसोदिया के आवागमन पर आम आदमी पार्टी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। आपने बताया है कि पिछले 10 वर्षों से बीजेपी की केंद्र सरकार ने एंजेंसियों के माध्यम से आम आदमी पार्टी के नेताओं पर झूठे और फर्जी मामले दर्ज किए हैं, 10 साल में उन्होंने 200 से अधिक मामले दर्ज किए हैं, लेकिन एक भी नेता से एक रुपए का भ्रष्टाचार का पैसा आज तक नहीं मिला। आतिशी ने कहा कि बीजेपी ने ध्यान हटाने के लिए फर्जी केस शुरू कियाकिसी भी घोटाले का सबूत नहीं है, 2000 करोड़ का घोटाला हुआ है पैसे का क्या हुआ? बीजेपी सरकारी स्कूलों को कमजोर करना चाहती है, आम आदमी पार्टी की सरकार ने स्मार्ट क्लासरूम स्थापित किए हैं। बीजेपी का क्या इरादा है कि गरीबों के लिए कोई विद्यालयहो, आम आदमी पार्टी शिक्षा को लेकर गंभीर है, प्राइवेट स्कूलों से बीजेपी के संबंध हैं।

यह जानकारी दी जाती है कि 2018 में प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता और वर्तमान बीजेपी विधायक हरीश खुराना और कपिल मिश्रा ने आरटीआई से मिले तथ्योंे आधार पर शिकायत की थी कि 2,892 करोड़ रुपये की लागत से लगभग 12,748 स्कूल कक्षाओं के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है। एसीबी ने कहा है कि परियोजना पर कुल 2,892 करोड़ रुपये खर्च हुए, जिससे प्रति कक्षा निर्माण लागत 24.86 लाख रुपये हो गई, जबकि मानक मानदंडों के अनुसार प्रति कमरे की अनुमानित लागत 5 लाख रुपये थी।

उसने कहा कि परियोजना 34 ठेकेदारों को सौंपी गई थी, जिनमें से अधिकतर कथित रूप से आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए थे। बीजेपी का आरोप है कि बिना टेंडर प्रक्रिया के सलाहकार और वास्तुकारों को नियुक्त किया गया और उनकी मदद से लागत बढ़ाई गई।

2000 करोड़ का घोटाला क्या है?

यह मामला लगभग 2000 करोड़ रुपये के предполагаित घोटाले से संबंधित है, जो 12,748 कक्षाओं और इमारतों के निर्माण के दौरान उजागर हुआ है। ACB की जांच में पता चला है कि क्लासरूम्स को Semi-Permanent Structure (SPS) के रूप में बनाया गया, जिसकी आयु 30 साल है, लेकिन इसकी लागत RCC (Pucca) क्लासरूम्स के बराबर आई, जिसकी आयु 75 साल होती है। परियोजना का ठेका 34 ठेकेदारों को सौंपा गया, जिनमें से ज्यादातर का संबंध आपकी पार्टी से बताया गया है।

बीजेपी नेताओं ने की थी शिकायत दर्ज

भाजपा के प्रवक्ता हरीश खुराना, विधायक कपिल मिश्रा और नीलकंठ बक्शी ने इस आरोपित घोटाले के खिलाफ शिकायत पेश की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर पर एक क्लासरूम का निर्माण 5 लाख रुपये में संभव था, लेकिन इस परियोजना में यह खर्च 24.86 लाख रुपये प्रति कक्षा तक बढ़ गया। CVC की रिपोर्ट में कहा गया है कि SPS निर्माण की लागत Rs. 2292 प्रति वर्ग फीट तक पहुँच गई, जो कि स्थायी विद्यालय भवनों का खर्च Rs. 2044 2416 के करीब प्रति वर्ग फीट है.

बिना टेंडर के कैसे बढ़ी लागत

इस संदर्भ में बिना नए टेंडर के कुल राशि Rs. 326.25 करोड़ का लागत में इजाफा किया गया, जिसमें Rs. 205.45 करोड़ केवल ‘रिचर स्पेसिफिकेशन’ की वजह से लग गए. ACB ने इस मामले में FIR दर्ज की है, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17-A के तहत अनुमति प्राप्त हुई है. FIR संख्या 31/2025 IPC की धारा 409, 120-B और POC एक्ट की धारा 13(1) के अंतर्गत दर्ज हुई है।

अब ACB ने एक विस्तृत जांच आरंभ कर दी है, जिससे पूरे घोटाले की वास्तविकता उजागर की जा सके और सभी जिम्मेदार लोगों की भागीदारी निर्धारित की जा सके। ACB के प्रमुख मधुर वर्मा ने बताया कि जांच मेंUnknown सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की भूमिका की भी समीक्षा की जा रही है।
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Rudra ji