भारत में शिव मंदिरों की कोई कमी नहीं, लेकिन उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर की बात ही अलग है। यह मंदिर दुनिया भर में अपनी अनूठी परंपरा, दुर्लभ मूर्ति और रहस्यमयी मान्यताओं के कारण प्रसिद्ध है।
क्या है खास?
नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित है और साल में सिर्फ एक दिन – नागपंचमी पर ही दर्शन के लिए खोला जाता है। पूरे वर्ष यह मंदिर बंद रहता है, और सिर्फ इस विशेष अवसर पर ही श्रद्धालुओं को भगवान शिव के दर्शन का सौभाग्य मिलता है।
अनोखी प्रतिमा
मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां विराजित दुर्लभ मूर्ति है, जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती एक सर्प शय्या पर विराजमान हैं। साथ ही भगवान गणेश भी साथ में दिखाई देते हैं। यह मूर्ति 11वीं शताब्दी की मानी जाती है और इसे बेहद ही दुर्लभ और चमत्कारी माना जाता है। यह मूर्ति इस बात की प्रतीक मानी जाती है कि भगवान शिव नागों के अधिपति हैं और उनसे भय नहीं, बल्कि आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

नागराज तक्षक की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार नागराज तक्षक ने इस स्थान पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इस स्थान पर वास की अनुमति दी। इसलिए यहां नागों का विशेष महत्व है और नागपंचमी पर इस मंदिर के दर्शन से सर्प दोष, कालसर्प योग व अन्य बाधाओं से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
मंदिर का इतिहास
इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। हालांकि इसका पुनर्निर्माण वर्ष 1732 में किया गया। यह मंदिर महाकाल वन क्षेत्र में आता है, जो स्वयं में ही एक पवित्र और शक्तिशाली स्थल माना जाता है।
नागपंचमी का दिन
हर साल श्रावण मास की शुक्ल पंचमी, यानी नागपंचमी के दिन सुबह से ही हजारों श्रद्धालु महाकाल मंदिर परिसर में पहुंचते हैं। सुरक्षा कारणों से दर्शन की समय-सीमा निर्धारित होती है और केवल सीमित संख्या में ही लोगों को नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन का अवसर मिलता है। इस दिन को लेकर भक्तों में अत्यंत उत्साह और भक्ति भाव होता है।
नागचंद्रेश्वर मंदिर न केवल शिवभक्तों के लिए, बल्कि इतिहास, पौराणिकता और आध्यात्मिक शक्ति में विश्वास रखने वालों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी दुर्लभता, मूर्ति की विशिष्टता और नागपंचमी की परंपरा इसे एक विशेष धार्मिक केंद्र बनाती है।
अगर आपको जीवन में कभी उज्जैन जाने का अवसर मिले, तो नागपंचमी पर इस अद्भुत मंदिर के दर्शन जरूर करें – यह अनुभव जीवनभर स्मरणीय रहेगा।