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रोहतक में NCERT की नकली किताबों का खेल, बच्चों के भविष्य से खिलवाड़

रोहतक में NCERT की नकली किताबों का खेल, बच्चों के भविष्य से खिलवाड़

रोहतक में एनसीईआरटी की नकली किताबों का खेल, बच्चों के भविष्य से खिलवाड़

रोहतक, हरियाणा — नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ ही हरियाणा के रोहतक जिले में NCERT की नकली किताबों का बड़ा घोटाला सामने आया है। दैनिक जागरण की विशेष जांच टीम ने बाजार में गुप्त तरीके से सर्वे कर यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि लगभग 70 प्रतिशत किताबें नकली हैं, जिन्हें असली कीमत पर अभिभावकों को बेचा जा रहा है।

इन नकली किताबों की छपाई न केवल घटिया स्तर की है, बल्कि उनमें विषयवस्तु की गंभीर गलतियाँ भी पाई गई हैं — जैसे तथ्यात्मक त्रुटियाँ, चित्रों की ग़लत प्रस्तुति, और पृष्ठ क्रम का अव्यवस्थित होना। विशेषज्ञों का मानना है कि ये त्रुटियाँ बच्चों की समझ, पढ़ाई के स्तर और परीक्षाओं में प्रदर्शन को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकती हैं।

मुनाफे के लालच में शिक्षा से खिलवाड़

रिपोर्ट में यह भी उजागर हुआ कि कई बुक डिपो संचालक जानबूझकर अधिक मुनाफा कमाने के लिए नकली किताबें बेच रहे हैं। इन दुकानदारों को नकली प्रकाशकों से किताबें सस्ते दामों में मिलती हैं, जिन्हें वे असली दरों पर ग्राहकों को थमा देते हैं। दुर्भाग्यवश, अभिभावक असली और नकली किताबों में फर्क नहीं कर पाते और उनके बच्चे इस शिक्षा जाल में फँस जाते हैं।

एनसीईआरटी किताबें अनिवार्य, फिर भी लापरवाही

गौरतलब है कि रोहतक के सरकारी और अधिकांश निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य रूप से लागू हैं। ऐसे में नकली किताबों का बाजार बच्चों के शैक्षणिक भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। यह केवल एक उपभोक्ता धोखाधड़ी नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था की नींव पर हमला है।

प्रशासन और शिक्षा विभाग पर उठे सवाल

अब सवाल यह उठता है कि शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन इस पूरे मामले से अंजान कैसे बना रहा? क्या बुक डिपो पर किसी प्रकार का निरीक्षण या वैधता प्रमाणन नहीं होता? यह भी जांच का विषय है कि इतने बड़े पैमाने पर नकली किताबें छप कैसे रही हैं और इनकी आपूर्ति की चेन कहां से संचालित हो रही है।

आवश्यक कदम:

प्रशासन को तत्काल छापेमारी कर नकली किताबों की जब्ती करनी चाहिए।

बुक डिपो संचालकों के लाइसेंस की समीक्षा होनी चाहिए।

अभिभावकों को असली और नकली किताब में फर्क समझाने के लिए जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है।

प्रिंट और प्रकाशन स्तर पर निगरानी तंत्र मजबूत करना होगा।

यदि समय रहते इस गंभीर मुद्दे पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह न केवल रोहतक बल्कि अन्य जिलों में भी शिक्षा की गुणवत्ता को बर्बाद कर सकता है।

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Rudra ji