अब आपातकालीन स्थिति में दुर्लभ रक्त समूह वाले दाता की तलाश करना कठिन नहीं होगा और वह बहुत सरलता से मिल जाएगा। केंद्र सरकार ने रक्तदान और रक्त की उपलब्धता पर नजर रखने वाले राष्ट्रीय पोर्टल ई-रक्तकोष में अब दुर्लभ रक्त समूहों के दाताओं का रजिस्ट्रेशन जोड़ना आरंभ कर दिया है। इस योजना से उन मरीजों को सहायता मिलेगी जिन्हें बेहद दुर्लभ रक्त प्रकारों जैसे बॉम्बे फेनोटाइप या बॉम्बे ब्लड ग्रुप की आवश्यकता होती है।
सीआरएमसीएच की प्रबंधक डॉ. मनीषा मडकाइकर ने एनडीटीवी को यह बताया कि देश में चार हजार से ज्यादा ब्लड बैंक हैं, लेकिन वे केवल एबीओ और आरएचडी रक्त समूहों की जांच करते हैं। दुर्लभ रक्त प्रकारों की पहचान और उनकी उपलब्धता आमतौर पर बहुत कठिन होती है. उन्होंने कहा कि दुर्लभ रक्त ऐसे होते हैं जो एक हजार में से केवल एक व्यक्ति में मिलते हैं। राष्ट्रीय रजिस्ट्री के बिना, ऐसे रक्त की खोज में समय और संसाधनों की बड़ी बर्बादी होती है. हालांकि अब एकीकृत प्रणाली के माध्यम से रक्त का केंद्रीकृत ट्रैकिंग संभव होगा और संवेदनशील मरीजों को तत्परता से उपचार मिल सकेगा।
डॉ. मनीषा मडकाइकर ने बताया कि जब किसी गंभीर रोगी को इस प्रकार का रक्त चाहिए होता है, तो अस्पतालों को राज्य या देश में खोज करनी पड़ती है। यह न केवल समय-साध्य खोज होती है बल्कि कई बार मरीज के जीवन के लिए खतरा भी बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि ई-रक्तकोष के साथ दुर्लभ रक्तदाता रजिस्ट्री का समेकन भारत के रक्त संपदान प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाएगा। इससे मरीजों, डॉक्टरों और अस्पतालों को समय पर दुर्लभ रक्त समूह उपलब्ध होगा और कई जिंदगियाँ बचाई जा सकेंगी।
पहली बार शुरू हुईं ऐसी गतिविधियाँ
वास्तव में, देश में इस समय दुर्लभ रक्त की खोज के लिए कोई भी राष्ट्रीय रजिस्ट्री मौजूद नहीं थी, जहां इन विशेष रक्त समूहों के दाताओं की जानकारी संचित हो सके। जानकारी के अनुसार, नई दिल्ली में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के सेंटर फॉर रिसर्च इन मेडिकली कंप्लीकेटेड हीमोग्लोबिन पैथी (CRMCH) ने देश की पहली राष्ट्रीय दुर्लभ रक्तदाता रजिस्टर (National Rare Blood Donor Registry) स्थापित किया है। इसमें उन रक्तदान करने वालों का विवरण है जिनका रक्त समूह अत्यंत दुर्लभ है, जैसे थैलेसीमिया, सिकल सेल रोग या विशेष एंटीजन की आवश्यकता वाले मरीजों के लिए। अब इस रजिस्ट्री को ई-रक्तकोष से जोड़ने का सुझाव दिया गया है, ताकि पूरे देश के रक्त बैंक इस डाटाबेस का हिस्सा बन सकें और जरूरतमंद मरीजों को तुरंत सहायता मिल सके।