प्रवीण खंडेलवाल ने संसद में उठाई कानून इंटर्न्स की आवाज, बार काउंसिल ला रही है मॉडल कोड
नई दिल्ली, संसद भवन –
लोकसभा में सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने देशभर में कानून की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए एक अहम और बहुप्रतीक्षित मुद्दा उठाया। उन्होंने विधि छात्रों द्वारा वकीलों के साथ की जा रही इंटर्नशिप के दौरान मानवीय, पारदर्शी और संरचित कार्य प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया।
खंडेलवाल ने संसद में कहा,
“लॉ इंटर्न्स हमारे भविष्य के न्यायाधीश, वकील और विधिक विशेषज्ञ हैं। उन्हें गरिमा के साथ कार्य करने का अवसर मिलना चाहिए। वर्तमान में कई छात्र बिना किसी स्टाइपेंड, अनुबंध या संरक्षित वातावरण के तहत लंबी अवधि तक कार्य करते हैं, जो कि एक गंभीर चिंता का विषय है।”
उन्होंने एक राष्ट्रीय स्तर पर लागू किए जाने योग्य स्टाइपेंड ढांचे और कार्य स्थितियों के लिए दिशानिर्देश की मांग रखी।
इस पर कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जवाब देते हुए सदन को सूचित किया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया इस विषय पर गंभीरता से कार्य कर रही है और “मॉडल कोड ऑफ लीगल इंटर्नशिप्स” का मसौदा तैयार किया जा रहा है, जिससे देशभर के लॉ इंटर्न्स को एक समान और न्यायपूर्ण कार्यदिशा प्राप्त होगी।
प्रवीण खंडेलवाल कौन हैं?
प्रवीण खंडेलवाल दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद हैं। वे कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के संस्थापक भी रहे हैं और व्यापारी हितों के मजबूत पक्षधर माने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने संसद में कई महत्वपूर्ण विषयों – जैसे ई-कॉमर्स रेगुलेशन, छोटे व्यापारियों की सुरक्षा, और अब कानून छात्रों की इंटर्नशिप – को प्रमुखता से उठाया है।

मॉडल कोड क्यों है ज़रूरी?
भारत में हज़ारों लॉ इंटर्न्स हर वर्ष अधिवक्ताओं, विधि फर्मों, कोर्ट्स और ट्रिब्यूनल्स में इंटर्नशिप करते हैं। लेकिन इनके लिए अब तक कोई राष्ट्रीय स्तर पर मान्य संरचना या गाइडलाइन मौजूद नहीं है।
बहुत से छात्रों को:
स्टाइपेंड नहीं दिया जाता,
कार्य का कोई निश्चित समय नहीं होता,
और कई बार मौखिक निर्देशों पर ही कार्य कराना पड़ता है।
मॉडल कोड लागू होने से न सिर्फ इंटर्न्स को एक सुरक्षित, प्रशिक्षक और पारदर्शी वातावरण मिलेगा, बल्कि उन्हें भविष्य में बेहतर पेशेवर बनने में मदद भी मिलेगी।
प्रतिक्रिया
इस पहल की लॉ स्टूडेंट्स, शिक्षकों और अधिवक्ताओं द्वारा सराहना की जा रही है। कई छात्रों ने सांसद प्रवीण खंडेलवाल की प्रशंसा करते हुए कहा है कि “किसी ने पहली बार हमारे मुद्दे को संसद में गंभीरता से उठाया है।”
तीस हजारी कोर्ट के एडवोकेट श्री जितेंद्र कुमार JK गुप्ता जी ने कहा कि यह पहल न्यायिक क्षेत्र में युवाओं के भविष्य को बेहतर बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। वहीं एडवोकेट श्री अर्पण राठौर ने भी प्रवीण खंडेलवाल के इस प्रयास को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे लॉ इंटर्न्स को सम्मानजनक और संरचित कार्य वातावरण मिलेगा।
यह प्रयास भारतीय विधिक व्यवस्था को और अधिक सशक्त, मानवीय और आधुनिक बनाएगा।