RNI NO – DELHIN/2015/63701

DCP Liecens No: F-2(N-18)

DL(DG-11)/8084/2015-17

Monday, 20 Oct 2025 , 1:27 am

RNI NO - DELHIN/2015/63701 | DL(DG-11)/8084/2015-17

Home » देश » प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल

प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल

प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल

सांसद प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल

नई दिल्ली।
दिल्ली के चांदनी चौक की तंग गलियां, भीड़-भाड़ वाला बाज़ार, मसाले और मिठाइयों की खुशबू, पुराने मंदिरों की घंटियों की गूंज और रिक्शे की धीमी रफ्तार-ये सब मिलकर एक ऐसी दुनिया बनाते हैं जिसे सिर्फ देखा नहीं, महसूस किया जाता है। इन्हीं गलियों में कल एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने हर उस व्यक्ति को भावुक कर दिया, जो अपने बचपन से जुड़ी जगहों को कभी न कभी याद करता है।

कल चांदनी चौक के लोकप्रिय सांसद श्री प्रवीण खंडेलवाल जी अपने पुराने दिनों की यादों को ताजा करने के लिए उन्हीं गलियों में लौटे जहां उनका बचपन बीता था। यह दौरा कोई औपचारिक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह अपने जड़ों से जुड़ने, अपने पुराने रिश्तों को फिर से जीने और बचपन की स्मृतियों को अपने दिल में फिर से बसाने की एक दिल छू लेने वाली यात्रा थी।

बचपन की गलियों में फिर से कदम

सांसद श्री प्रवीण खंडेलवाल जी ने चांदनी चौक के उन रास्तों पर फिर से कदम रखा जहां वह एक बच्चे के रूप में खेलते-कूदते बड़े हुए थे। उनके साथ इस अवसर पर जिला अध्यक्ष श्री अरविंद गर्ग जी भी उपस्थित रहे। खास बात यह रही कि दोनों नेताओं ने चांदनी चौक की सड़कों पर पैदल घूमने के साथ-साथ एक पुराने रिक्शा की सवारी भी की। यह वही रिक्शा था, जिस पर कभी प्रवीण जी बचपन में बैठा करते थे।

चांदनी चौक के व्यस्त बाजार और भीड़-भाड़ के बीच उन्होंने बेहद सहजता से उन दुकानों पर रुकना शुरू किया, जहां वे बचपन में अक्सर जाते थे। उन्होंने अपनी पसंदीदा चाट और पकौड़े का भी आनंद लिया। वह स्वाद, वह महक, वही पुराने चाट वाले काका – सब कुछ उन्हें उनके बचपन में फिर से ले गया।

प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल

प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल
प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल

 

मंदिर में दर्शन और पुराने मित्रों से मुलाकात

अपने पुराने घर के पास स्थित मंदिर में सांसद प्रवीण खंडेलवाल जी ने पूरे श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना की। उन्होंने भगवान से आशीर्वाद लिया और उस क्षण को अपने जीवन का बेहद निजी और खास पल बताया। मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर उन्होंने अपने पुराने दिनों को याद किया जब वे बचपन में हर सुबह वहीं से दिन की शुरुआत किया करते थे।

प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल
प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल

इसके बाद उन्होंने अपने पुराने पड़ोसियों, दोस्तों और साथ खेलने वाले मित्रों से मिलकर बीते लम्हों की यादों को साझा किया। यह मुलाकात पूरी तरह से आत्मीय और भावनात्मक रही। कई पुराने दोस्त, जो अब अलग-अलग क्षेत्रों में व्यस्त हैं, सांसद जी से मिलकर अपने बचपन की बातें याद कर मुस्कुरा उठे।

प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल
प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल

“चांदनी चौक मेरा जीवन है”

इस पूरे दौरे के दौरान सांसद प्रवीण खंडेलवाल जी कई बार भावुक नजर आए। बातचीत करते हुए उन्होंने कहा –
“चांदनी चौक सिर्फ एक जगह नहीं है, यह मेरा जीवन है, मेरा बचपन है, मेरी यादें हैं। इस मिट्टी में मेरा पूरा जीवन बसता है। मैं जहां भी रहूं, मेरा दिल यहीं रहता है।”

उन्होंने आगे कहा कि आज जिस मुकाम पर वे हैं, उसमें चांदनी चौक की गलियों, यहां की संस्कृति, यहां के लोगों और यहां की सीख का बड़ा योगदान है।

जनता के बीच सहज संवाद

इस दौरे की सबसे खास बात यह रही कि सांसद जी ने किसी राजनीतिक मंच या माइक की जरूरत नहीं समझी। उन्होंने लोगों के बीच पूरी सहजता से संवाद किया, दुकानदारों से हालचाल पूछा, रिक्शा चालकों से बातें कीं और आम नागरिकों के साथ खुलकर हंसी-मजाक किया। इस दौरान इलाके के लोगों ने भी सांसद जी का गर्मजोशी से स्वागत किया और बचपन की कई पुरानी घटनाएं साझा कीं, जिनकी याद में माहौल बार-बार भावुक होता रहा।

प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल
प्रवीण खंडेलवाल का भावनात्मक सफर: बचपन की गलियों में लौटे, चांदनी चौक की मिट्टी से फिर जुड़ा दिल

एक मानवीय पहलू की झलक

आमतौर पर नेता जब किसी क्षेत्र का दौरा करते हैं तो वह प्रशासनिक या राजनैतिक उद्देश्यों से भरा होता है, लेकिन सांसद प्रवीण खंडेलवाल जी का यह दौरा पूरी तरह से व्यक्तिगत और भावनात्मक था। यह साबित करता है कि भले ही कोई कितनी भी ऊंचाइयों पर क्यों न पहुंच जाए, अपने बचपन, अपनी जड़ों और अपनी मिट्टी से कभी दूर नहीं जा सकता।

स्थानीय निवासियों में खुशी की लहर

सांसद जी को अपने बीच यूं सामान्य नागरिक की तरह पाकर स्थानीय लोग काफी प्रसन्न हुए। लोगों ने बताया कि प्रवीण जी का व्यवहार हमेशा से विनम्र और अपनापन भरा रहा है। आज भी वे बचपन के दोस्तों को नाम से बुलाते हैं, पुराने दुकानदारों को पहचानते हैं और गलियों की हर दिशा से अच्छी तरह वाकिफ हैं।

राजनीति से इतर एक भावनात्मक तस्वीर

यह दौरा एक बार फिर याद दिलाता है कि राजनीति केवल नीतियों और भाषणों तक सीमित नहीं है, बल्कि असली नेतृत्व वही होता है जो अपने लोगों से जुड़ा रहे, अपनी जड़ों को न भूले और जनता के सुख-दुख में समान रूप से शामिल हो। सांसद प्रवीण खंडेलवाल जी ने चांदनी चौक की गलियों में बिताए इन कुछ घंटों से यह साबित कर दिया कि दिल से जुड़ाव कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।

नेशनल कैपिटल टाइम्स

संबंधित समाचार
Rudra ji